सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

३०- ०९- २०१० जब इंसाफ जीता ,बाबर हार गया


३०- ०९- २०१० जब इंसाफ जीता ,बाबर हार गया ।

एक आतंकी , लुटेरी,हत्यारी मानसिकता के बाबर ने , एक सत्य अहिंसक विचारधारा को अपनी मानसिकता से अपमानित , दलित करने का असफल प्रयास किया लेकिन वो ये भूलगया की सत्य परेशां हो सकता है लेकिन पराजित नहीं आखिर सत्य की विजय हुयी ,केलिन इतने देर से । इसका कोई भी मलाल नहीं है ।
३०-०९-२०१० को जब फेसला आया तो मेरे मन में एक ही विचार उपजा सत्य जीत गया एक लुटेरा आज हार गया ,इसके साथ ही वो तमाम घटनाये जो हुयी वो भी दिमांग में चलने लगी । एक फिल्म चली उन कर सेवको की जो निरपराध गोधरा स्टेशन पर डिब्बे में बंद कर जला दिए गए वो । लगा बाबरी मानसिकता कितनी भयानक है की भजन करते लोगो को जलती है । जब उसकी पर्तिक्रिया गुजरात में हुयी तो ये बाबरी मसिकता के सकुलर वादी समर्थक साडी दुनिया में घारीयाली आसूं बहाने लगे उनको सोचना चाहिए की हर बाबरी मानसिकता से किये गए कार्यो की पर्तिक्रिया होगी ।
बाबरी मानसिकता जो कश्मीर तथा आनेक जागो पर काम कर रही है , कभी प्यार का जेहाद कर रही है इन सब का जबाब एक दिन जनता देगी जरूर देगी ये आतंक वाद नहीं चलेगा भारत का तह काठी अल्ला में विस्वास करने वाला साचा मुसलमान ही इसका जबाब देगा इस्लाम के नाम पर झूटी बाबरी मस्जिद का दुनिया भर में हल्ला मचने वाले स्वार्थी , कुर्सी लोभी, परिवार वादी सब हार जायेगे । एक सुंदरा भारत का की निर्माण होगा जहा सनातन परम्परा के अनुसार हर आदमी अपनी विचार धरा के अनुसार उपासना कर पाने जीवन ले लक्ष को प्राप्त करेगा । बाबरी सभ्यता मिटा जाएगी तब कोई मंदिर नहीं लुटा जायेगा लोग नमाज पढ़ेगे , प्यार से जियेगे कुर्सी के लोभ से सुकुलर बनाने वाले मिट जायेगे . भारत अखंड होगा बाबर शिष्य जिन्ना भी हारेगा ।
जय श्री राम

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