रविवार, 25 दिसंबर 2011

De Bhagavad Gita, een van de heiligste hindoeïstische geschriften, wordt geconfronteerd met een wettelijk verbod


De Bhagavad Gita, een van de heiligste hindoeïstische geschriften, wordt geconfronteerd met een wettelijk verbod en het vooruitzicht te worden gebrandmerkt als 'extremist' literatuur in heel Rusland. Een rechtbank in Siberië Tomsk stad is ingesteld de uiteindelijke uitspraak te leveren aanstaande dinsdag in een zaak aangespannen door de staataanklagers.
De zaak, die is aan de gang is sinds juni, zoekt een verbod op een Russische vertaling van de "Bhagavad Gita As It Is", geschreven door AC Bhaktivedanta Swami Prabhupada.

In een laatste poging, had Hindoes in Rusland een beroep op de Siberische rechter om de standpunten van de mens van de natie Commissie voor de rechten van de religieuze tekst vóór het uitspreken van zijn vonnis te zoeken. Het vonnis wordt nu uitgesproken op 28 december.

Hindoes van Nederland vinden dat dit een racistische- , discriminerende zaak is en dat het een belemmering is voor geloofsuitvoering. Deze uitspraak is niet acceptabel. Dit is een bewijs dat in Rusland de Hindoes gediscrimineerd worden.

Stichting Shri Sanatan Dharma Nederland had afgelopen zaterdag alle hindoes uitgenodigd om deel te nemen aan de Hanuman Chalisa, in Mandir Shri Sitaram Dhaam ( Amsterdam), dat in Rusland de Bhagwat Geeta niet verboden wordt.

मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

विश्व शांति हेतु सूरीनाम में सूर्य-कुंभ का आयोजन


विश्व शांति हेतु सूरीनाम में सूर्य-कुंभ का आयोजन

पारामारिबो। दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम में 15 जनवरी से सूर्य-कुंभ पर्व का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्घाटन वहां के राष्ट्रपति श्री देसी बोतरस करेंगे। देश की राजधानी पारामारीबो में सूरीनाम नदी के तट पर आयोजित होने वाले इस कुंभ मेले का समापन 1 फरवरी को होगा। कुंभ पर्व में भारत और सूरीनाम सहित दुनिया के सैंकड़ों विद्वान हिस्सा लेंगे। देश के इतिहास में इस प्रकार के मेले का आयोजन दूसरी बार हो रहा है। इसको लेकर सूरीनाम के अलावा त्रिनिडाड, अमेरिका, नार्वे, फ्लोरिडा, नीदरलैंड; आदि देशों के हिंदुओं में काफी उत्साह है।

“सूर्य कुंभ पर्व आयोजन समिति” के अध्यक्ष श्री महेंद्र प्रसाद रूदी ‘रामधनी’ रामधनी का इस संदर्भ में कहना है कि इस कुम्भ पर्व के आयोजन की प्रेरणा हमें आचार्य शंकर से मिली। आचार्य जी सूरीनाम के कारीगांव के निवासी हैं। वह हालैंड एवं सूरीनाम में सनातन धर्मसभा के अध्यक्ष हैं। उन्होंने ही मुझे इस कार्य के लिए प्रेरित किया। समय-समय पर उनसे आवश्यक सुझाव भी मुझे मिलता रहता है।



श्री रूदी ने बताया कि इस वर्ष कुंभ पर्व में सूरीनाम एवं भारत के अलावा त्रिनिडाड, अमेरिका, नार्वे, गुयाना, फ्लोरिडा, नीदरलैंड समेत दुनिया के कई देशों के विद्वानों को आमंत्रित किया गया है, जो विश्व में सुख-शांति की स्थापना और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार सहित कई गंभीर विषयों पर चिंतन-मंथन करेंगे।

उन्होंने कहा कि पर्व के दौरान सूरीनाम के सभी मंदिरों से कलश पूजन करके कुंभ परिसर में लाया जाएगा। कलश पूजन में हिस्सा लेने वाले लोग कुंभ के दौरान भजन-कीर्तन भी करेंगे। इस दौरान श्रद्धालु वैरागी अखाड़ा के भारतीय संत स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद जी महाराज के प्रवचन का आनंद भी उठा सकते हैं। वे पिछले कई वर्षों से विदेशों में रामकथा व भागवतकथा के माध्यम से भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रचार-प्रसार के कार्य में सक्रिय हैं।

कुंभ मेले के भारत से बाहर आयोजन के प्रश्न पर उनका कहना है-, “हम लोग भारतीय मूल के हैं। हमारे पूर्वज आज से करीब 170 वर्ष पूर्व गिरमिटिया मजदूर के रूप में सूरीनाम और त्रिनिडाड आदि देशों में आए थे। भारतीय मूल का होने के कारण वहां की संस्कृति और सभ्यता से गहरा जुड़ाव है। सूरीनाम की जनसंख्या करीब पांच लाख है, जिसमें करीब 38 प्रतिशत हिंदू हैं। भारत में जो कुंभ लगता है उसका बहुत बड़ा महत्व है। उसके आयोजन का महात्म्य समुद्र मंथन से जुड़ा है। भारत में हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में हर बारहवें एवं छठवें वर्ष क्रमशः कुंभ व अर्द्धकुंभ मेले का आयोजन होता है। इन आयोजनों में विश्व भर के लाखों लोग हिस्सा लेते हैं। इसके अलावा ऐसे भी लोग हैं जिनको आर्थिक कारणों से भारत पंहुचना संभव नहीं हो पाता। उनके लिए इसके विकल्प के तौर पर सूरीनाम में कुम्भ मेले का आयोजन किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि यह आयोजन उन सभी प्रवासी भारतीयों के लिए एक वरदान साबित होगा, जो भारत पंहुच कर माघ स्नान का पुण्य नहीं प्राप्त कर सकते।"


श्री रूदी ने कहा कि सूरीनाम में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार ही इस कुंभ पर्व के आयोजन का प्रमुख उद्देश्य है। इसके अलावा सनातन धर्म को मानने वाले दुनिया के सभी साधु-संत और विद्वान एक जगह एकत्रित होकर विश्व के लिए सुख शांति का मार्ग खोज सकेंगे। विश्व शांति में भारतीय संस्कृति और सभ्यता के योगदान के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, “मेरे विचार से भारतीय संस्कृति और सभ्यता ही सनातन धर्म है। दुनिया में इसके प्रचार का उद्देश्य सभी मत, पंथ और सम्प्रदाय के लोगों में एकता स्थापित करना है। मुझे यह विश्वास है कि सनातन धर्म सत्य पर आधारित है और सत्य की स्थापना से ही विश्व में शांति की स्थापना हो सकेगी।"

इस दौरान उन्होंने बताया कि सुरीनाम में कुंभ पर्व के आयोजन के लिए ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती समेत कई संतों ने शुभकामनाएं दी हैं।

उल्लेखनीय हो कि सुरीनाम में सूर्य-कुंभ पर्व का प्रथम आयोजन इसी वर्ष (14 जनवरी से 18 फरवरी 2011) किया गया था। सुरीनाम कुम्भ के दौरान अयोध्या में श्रीराम-मंदिर निर्माण के लिए प्रस्ताव भी पारित किया गया था। प्रस्ताव में कहा गया था- “भगवान श्रीराम पूरी दुनिया के हिंदुओं के आराध्य हैं। उनकी जन्म-स्थली हमारे लिए पूज्य है। इसलिए भारत सरकार को चाहिए कि वह जन्मभूमि को सम्मानपूर्वक हिंदुओं को सौंप दे तथा इसके पक्ष में संसद में एक कानून भी बनाए, ताकि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सके।”

बुधवार, 22 जून 2011

नीदरलैंड में गौरक्षा के प्रति जागरुकता अभियान

नीदरलैंड में गौरक्षा के प्रति जागरुकता अभियान

एम्सटर्डम। श्री सनातन धर्म संस्था नीदरलैंड देश में गौरक्षा के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य से एक अभियान चलाने की योजना बना रहा है। अभियान के तहत गोवंश के धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक महत्व के बारे में लोगों को जागरुक किया जाएगा। साथ ही यहाँ के लोगों को गौमांस न खाने की शपथ भी दिलायी जाएगी।

यूरोप के उत्तरी-पूर्व में स्थित नीदरलैंड (हॉलैंड) की जनसंख्या 16 मिलियन है। यहां प्रत्येक वर्ष 500 मिलियन पशुओं को मार कर उनका उपयोग मांसाहार के रुप में किया जाता है। जिसमें लगभग तीन मिलियन गोवंश शामिल है। ऑकड़ों के मुताबिक प्रत्येक दिन 6 हजार से आठ हजार गोवंश की हत्या कर दी जाती है।

जानकारों के मुताबिक नीदरलैंड में अब कोई भी प्राकृतिक गाय नहीं बची है। ज्यादातर शंकर नस्ल की गाय क्रास ब्रिडिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग करके तैयार की जाती हैं। चौकाने वाली बात यह है कि यहां की गाय भी धीरे-धीरे मांसाहारी प्रकृति की हो रही हैं। यहां अधिक दूध और मांस के उत्पादन के लिए गोवंश को मांस से युक्त आहार दिया जाता है। इससे गाय में अनेक तरह की बीमारी फैल रही है। साथ ही इससे दूध की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

सनातन धर्मं संस्था गोवंश पर इस तरह के अत्याचार को रोकने की दृष्टि से यह अभियान शुरु करने जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस संबंध में लगभग एक लाख लोगों के हस्ताक्षर से युक्त एक घोषणा-पत्र यहाँ की महारनी को सौंपा जाएगा।

गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

सावधान स्वामी अग्निवेश भारत विरोधी नक्सल वादी है केशरी रंग में । हजारे के बारे में अब मुझे शंका है ।

सावधान स्वामी अग्निवेश भारत विरोधी नक्सल वादी है केशरी रंग में । हजारे के बारे में अब मुझे शंका है । छत्तीसगढ़ की सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश पर निगरानी रखने की आदेश जारी किए हैं. राज्य के ख़ुफ़िया विभाग से कहा गया है कि वह अग्निवेश की हर गतिविधि पर नज़र रखे. इस आशय का आदेश राज्य के गृह मंत्री ननकीराम कँवर ने जारी किया है. बीबीसी से एक साक्षात्कार में छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ने आरोप लगाया है कि बिनायक सेन के साथ-साथ स्वामी अग्निवेश भी माओवादियों के शहरी नेटवर्क का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर बिनायक सेन सान्याल नक्सलियों के शहरी नेटवर्क के लिए काम कर रहे थे और उन्हें लगता है कि अग्निवेश्जी भी शहरी नेटवर्क में हैं. कँवर का कहना था कि उन्होंने "व्यक्तिगत रूप से" पुलिस विभाग से स्वामी अग्निवेश पर निगरानी रखने का लिखित आदेश दिया है. इतना ही नहीं गृहमंत्री का कहना है कि उन संगठनों पर भी नज़र रखी जा रही है जो अपने काय्रक्रमों में स्वामी अग्निवेश को आमंत्रित करते हैं. मामला यह पूरा मामला तब शुरू हुआ जब स्वामी अग्निवेश 11 से 14 अप्रैल के बीच दंतेवाड़ा के चिंतलनार इलाक़े के कुछ गाँवों में कथित रूप से सुरक्षा बलों की ज़्यादतियों के पीड़ित लोगों से मिलने जा रहे थे. इन आरोपों के बाद कि सुरक्षा बलों ने आदिवासियों के 300 घरों को जला दिया है, महिलाओं से बदसुलूकी की है और कुछ ग्रामीणों को मार गिराया है, अग्निवेश आर्ट ऑफ़ लीविंग के आचार्य मिलिंद के साथ राहत सामग्री लेकर उस इलाक़े में जा रहे थे. आरोप हैं कि राहत लेकर जा रहे अग्निवेश के काफ़िले को दोरनापाल के पास रोका गया और उन पर हमला किया गया. इस दौरान ना सिर्फ़ उनके और आचार्य मिलिंद के साथ धक्का-मुक्की की गई, बल्कि उनकी गाड़ी पर पत्थर और अंडे फेंके गए. यह सब कुछ बावजूद इसके हुआ जबकि स्वामी अग्निवेश को राज्य सरकार की तरफ़ से काफ़ी सुरक्षा मुहैया कराई गई थी. अग्निवेश ने उस इलाक़े में दो बार जाने की कोशिश की लेकिन दोनों ही बार उन्हें हिंसक विरोध का सामना करना पड़ा. अग्निवेश का आरोप है कि कोया कमांडो और विशेष पुलिस अधिकारियों नें उन पर हमला किया. ना सिर्फ़ उनपर बल्कि बस्तर संभाग के कमिश्नर, दंतेवाड़ा के कलक्टर और पत्रकारों पर भी इसी गुट की ओर से हमले किये गए. ज़िम्मेदारी यहाँ तक कि अनुमंडल अधिकारी, कलक्टर और कमिश्नर को भी विशेष पुलिस अधिकारियों और कोया कमांडो ने पीड़ित गाँवों में जाने से रोक दिया. स्वाभाविक आक्रोश वह ऐसा स्थान है जहां लगातार तीन बड़ी घटनाओं में सीआरपीएफ़, विशेष पुलिस अधिकारी और कोया कमांडो के 91 जवान शहीद हुए हैं. उस क्षेत्र में तहसीलदार के नेतृत्व में राहत सामग्री लेकर जाने वालों पर आक्रमण हुआ. मुझे लगता है कि जब तक स्थिति सामान्य ना हो, वहाँ पर जाने में दिक्कत आ सकती है क्योंकि उस क्षेत्र के लोगों के मन में आक्रोश है स्वामी अग्निवेश ने कहा कि चिंतलनार इलाक़े की घटना की नैतिक ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री रमन सिंह को लेनी चाहिए. इसके अलावा इस मामले को लेकर अग्निवेश सुप्रीम कोर्ट भी गए जहां अदालत ने छत्तीसगढ़ की सरकार से पूछा कि आखिर यह कोया कमांडो कौन हैं और उन्हें कैसे बहाल किया गया है. वहीं दूसरी तरफ़ मुख्यमंत्री रमन सिंह का कहना है कि स्वामी अग्निवेश और राहत लेकर जा रहे अधिकारियों को लोगों के "स्वाभाविक आक्रोश" का सामना करना पड़ा. रमन सिंह कहते हैं, "वह ऐसा स्थान है जहां लगातार तीन बड़ी घटनाओं में सीआरपीएफ़, विशेष पुलिस अधिकारी और कोया कमांडो के 91 जवान शहीद हुए हैं. उस क्षेत्र में तहसीलदार के नेतृत्व में राहत सामग्री लेकर जाने वालों पर आक्रमण हुआ. मुझे लगता है कि जब तक स्थिति सामान्य ना हो, वहाँ पर जाने में दिक्कत आ सकती है क्योंकि उस क्षेत्र के लोगों के मन में आक्रोश है. उन्हें लगा के लोग राहत लेकर नक्सलियों के सहयोग और समर्थन के लिए जा रहे हैं. अब चक्का जाम की स्थिति में पुलिस के अधिकारी क्या कर सकते हैं जब आम आदमी वाहन लेकर बैठे हैं. दो हज़ार लोग बैठे हैं. तो लोग लौट कर आ गए. ठीक है. कुछ अंडे फेंके गए. जब स्वाभाविक आक्रोश स्थानीय लोगों में आता है तो उसकी प्रतिक्रिया होती है." चिंतलनार के घटनाक्रम के बाद राज्य सरकार ने वह सीडी सार्वजनिक की, जिसमें स्वामी अग्निवेश माओवादियों द्वारा 25 जनवरी को अगवा किए गए पांच जवानों की रिहाई के लिए मध्यस्थता करने नारायणपुर ज़िले के अबूझमाड़ के जंगलों में गए हुए थे. अग्निवेश का कहना है कि वह छत्तीसगढ़ की सरकार के अनुरोध पर मध्यस्थता करने आए थे. उनके साथ मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नौलखा और कविता श्रीवास्तव भी शामिल थी. आरोप छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री ननकीराम कँवर का कहना है कि सीडी में अग्निवेश को "भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) को लाल सलाम" का नारा लगाते हुए दिखाया गया है. आप सीडी देखेंगे तब समझ में आएगा. वह नारे लगा रहे हैं भारत की सेना वापस जाओ ननकीराम कँवर बीबीसी को दिए साक्षात्कार में कँवर कहते हैं, "आप सीडी देखेंगे तब समझ में आएगा. वह नारे लगा रहे हैं भारत की सेना वापस जाओ." कँवर का कहना है कि सरकार मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालना नहीं चाहती है. उन्होंने कहा, "विभाग के लोग और मुख्यमंत्री भी कहते हैं कि मधुमक्खी के छत्ते में हाथ मत डालो. लेकिन हाथ तो डालना ही है माओवादियों के शहरी नेटवर्क में. अब साधू के वेश में तो मुश्किल है ना." गृह मंत्री का कहना है कि अब आम लोग भी अग्निवेश के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. कँवर आगे कहते हैं, "विभाग को मैंने व्यक्तिगत रूप से बोल दिया है कि उन पर निगरानी रखे, जितने संगठनों में वह जाते हैं उन संगठनों के क्रियाकलापों पर भी नज़र रखें." उन्होंने बताया कि निगरानी का मतलब ये कि वे किस तरह के लोगों से मिलते हैं, किस तरह उनको बहकाते हैं और किस तरह के लोगों के साथ काम करते हैं.

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

घाघ और भड्डरी

नक्षत्र ज्योतिष विद्या के महारथी कहे जाने वाले घाघ-भड्डरी की मौसम संबंधी कहावतें आज भी अचूक हैं और अगर इनको गंभीरता से लिया जाए तो मानसून के बारे में सटीक जानकारी मिल सकती है। भारतीय जन-मानस में रचे बसे घाघ-भड्डरी इसी परंपरा की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं|

कृषि या मौसम वैज्ञानिक सदृश्य छवि बना चुके घाघ और भड्डरी के अस्तित्व के सम्बन्ध में कई मान्यताएं प्रचलित है। हिन्दी भाषी क्षेत्रों में प्रचलित ये कहावतें आम ग्रामीणों के लिए मौसम के पूर्वानुमान का अचूक स्रोत है। लोक मान्यताओं के अनुसार घाघ एक प्रसिद्ध ज्योतिषी भी थे, जिन्होंने भड्डरी जो संभवतः गैर सवर्ण स्त्री थी की विद्वता से प्रभावित हो उससे विवाह किया था। घाघ-भड्डरी की नक्षत्र गणना पर आधारित कहावतें ग्रामीण अंचलों में आज भी बुजुर्गों के लिए मौसम को मापने का यंत्र हैं। इन दिनों जब सभी मानसून में देरी होने से व्यग्र हो रहे हैं, वर्षा और मानसून को लेकर उनकी कहावतों पर गौर किया जा सकता है। भड्डरी की एक कहावत है –

उलटे गिरगिट ऊँचे चढै।
बरखा होइ भूइं जल बुडै।।

यानी यदि गिरगिट पेड़ पर उल्टा होकर अर्थात पूंछ ऊपर की ओर करके चढे़ तो समझना चाहिए कि इतनी वर्षा होगी कि पृथ्वी पानी में डूब जाएगी। इसी तरह भड्डरी कहते हैं, कि

पछियांव के बाद।
लबार के आदर।।

जो बादल पश्चिम से या पश्चिम की हवा से उठता है ‘वह नहीं बरसता’ जैसे झूठ बोलने वाले का आदर निष्फल होता है।

सूखे की तरफ संकेत करने वाली घाघ-भड्डरी की एक कहावत है –

दिन को बादर रात को तारे।
चलो कंत जहं जीवैं बारे।।

इसका मतलब है कि अगर दिन में बादल हों और रात में तारे दिखाई पड़े तो सूखा पडे़गा। हे नाथ वहां चलो जहां बच्चे जीवित रह सकें।

सूखे से ही जुड़ी उनकी एक और कहावत है –

माघ क ऊखम जेठ क जाड।
पहिलै परखा भरिगा ताल।।
कहैं घाघ हम होब बियोगी।
कुआं खोदिके धोइहैं धोबी।।

अर्थात यदि माघ में गर्मी पडे़ और जेठ में जाड़ा हो, पहली वर्षा से तालाब भर जाए तो घाघ कहते हैं कि ऐसा सूखा पडे़गा कि हमें परदेश जाना पडे़गा और धोबी कुएं के पानी से कपडे़ धोएंगे।

अतिवृष्टि की तरफ संकेत करने वाली भड्डरी की एक और कहावत है –

ढेले ऊपर चील जो बोलै।
गली गली में पानी डोलै।।

इसका तात्पर्य है कि अगर चील ढेले पत्थर पर बैठकर बोले तो समझना चाहिए कि इतना पानी बरसेगा कि गली, कूचे पानी से भर जाएंगे।

वर्षा की विदाई का संकेत देने वाली उनकी एक कहावत है –

रात करे घापघूप दिन करे छाया।
कहैं घाघ अब वर्षा गया।।

अर्थात यदि रात में खूब घटा घिर आए, दिन में बादल तितर-बितर हो जाएं और उनकी छाया पृथ्वी पर दौड़ने लगे तो घाघ कहते हैं कि वर्षा को गई हुई समझना चाहिए।

सर्व तपै जो रोहिनी, सर्व तपै जो मूर।
परिवा तपै जो जेठ की, उपजै सातो तूर।।

यदि रोहिणी भर तपे और मूल भी पूरा तपे तथा जेठ की प्रतिपदा तपे तो सातों प्रकार के अन्न पैदा होंगे।

शुक्रवार की बादरी, रही सनीचर छाय।
तो यों भाखै भड्डरी, बिन बरसे ना जाए।।

यदि शुक्रवार के बादल शनिवार को छाए रह जाएं, तो भड्डरी कहते हैं कि वह बादल बिना पानी बरसे नहीं जाएगा।

भादों की छठ चांदनी, जो अनुराधा होय।
ऊबड़ खाबड़ बोय दे, अन्न घनेरा होय।।

यदि भादो सुदी छठ को अनुराधा नक्षत्र पड़े तो ऊबड़-खाबड़ जमीन में भी उस दिन अन्न बो देने से बहुत पैदावार होती है।

अद्रा भद्रा कृत्तिका, अद्र रेख जु मघाहि।
चंदा ऊगै दूज को सुख से नरा अघाहि।।

यदि द्वितीया का चन्द्रमा आर्द्रा नक्षत्र, कृत्तिका, श्लेषा या मघा में अथवा भद्रा में उगे तो मनुष्य सुखी रहेंगे।

सोम सुक्र सुरगुरु दिवस, पौष अमावस होय।
घर घर बजे बधावनो, दुखी न दीखै कोय।।

यदि पूस की अमावस्या को सोमवार, शुक्रवार बृहस्पतिवार पड़े तो घर घर बधाई बजेगी-कोई दुखी न दिखाई पड़ेगा।

सावन पहिले पाख में, दसमी रोहिनी होय।
महंग नाज अरु स्वल्प जल, विरला विलसै कोय।।

यदि श्रावण कृष्ण पक्ष में दशमी तिथि को रोहिणी हो तो समझ लेना चाहिए अनाज महंगा होगा और वर्षा स्वल्प होगी, विरले ही लोग सुखी रहेंगे।

पूस मास दसमी अंधियारी।
बदली घोर होय अधिकारी।
सावन बदि दसमी के दिवसे।
भरे मेघ चारो दिसि बरसे।।

यदि पूस बदी दसमी को घनघोर घटा छाई हो तो सावन बदी दसमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी। कहीं कहीं इसे यों भी कहते हैं-‘काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो।

पूस उजेली सप्तमी, अष्टमी नौमी जाज।
मेघ होय तो जान लो, अब सुभ होइहै काज।।

यदि पूस सुदी सप्तमी, अष्टमी और नवमी को बदली और गर्जना हो तो सब काम सुफल होगा अर्थात् सुकाल होगा।

अखै तीज तिथि के दिना, गुरु होवे संजूत।
तो भाखैं यों भड्डरी, उपजै नाज बहूत।।

यदि वैशाख में अक्षम तृतीया को गुरुवार पड़े तो खूब अन्न पैदा होगा।

पैदावार संबंधी कहावतें

रोहिनी जो बरसै नहीं, बरसे जेठा मूर।
एक बूंद स्वाती पड़ै, लागै तीनिउ नूर।।

यदि रोहिनी में वर्षा न हो पर ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र बरस जाए तथा स्वाती नक्षत्र में भी कुछ बूंदे पड़ जाएं तो तीनों अन्न (जौ, गेहूँ , और चना) अच्छा होगा।

खेत जोतने के लिए

गहिर न जोतै बोवै धान।

सो घर कोठिला भरै किसान।। गहरा न जोतकर धान बोने से उसकी पैदावार खूब होती है।
गेहूँ भवा काहें।

अषाढ़ के दुइ बाहें।। गेहूँ भवा काहें।
सोलह बाहें नौ गाहें।। गेहूँ भवा काहें।
सोलह दायं बाहें।। गेहूँ भवा काहें।
कातिक के चौबाहें।।

गेहूँ पैदावार अच्छी कैसे होती है ? आषाढ़ महीने में दो बांह जोतने से; कुल सोलह बांह करने से और नौ बार हेंगाने से; कातिक में बोवाई करने से पहले चार बार जोतने से।

गेहूँ बाहें।
धान बिदाहें।।

गेहूँ की पैदावार अधिक बार जोतने से और धान की पैदावार विदाहने (धान होने के चार दिन बाद जोतवा देने) से अच्छी होती है।

गेहूँ मटर सरसी।
औ जौ कुरसी।।

गेहूँ और मटर बोआई सरस खेत में तथा जौ की बोआई कुरसौ में करने से पैदावार अच्छी होती है।

गेहूँ बाहा, धान गाहा।
ऊख गोड़ाई से है आहा।।

जौ-गेहूँ कई बांह करने से धान बिदाहने से और ऊख कई बार गोड़ने से इनकी पैदावार अच्छी होती है।

गेहूँ बाहें, चना दलाये।
धान गाहें, मक्का निराये।
ऊख कसाये।

खूब बांह करने से गेहूँ , खोंटने से चना, बार-बार पानी मिलने से धान, निराने से मक्का और पानी में छोड़कर बाद में बोने से उसकी फसल अच्छी होती है।

पुरुवा रोपे पूर किसान।
आधा खखड़ी आधा धान।।

पूर्वा नक्षत्र में धान रोपने पर आधा धान और आधा पैया (छूछ) पैदा होता है।

पुरुवा में जिनि रोपो भैया।
एक धान में सोलह पैया।।

पूर्वा नक्षत्र में धान न रोपो नहीं तो धान के एक पेड़ में सोलह पैया पैदा होगा।

बुआई संबंधी कहावतें

कन्या धान मीनै जौ।
जहां चाहै तहंवै लौ।।

कन्या की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन की संक्रान्ति होने पर जौ की फसल काटनी चाहिए।

कुलिहर भदई बोओ यार।
तब चिउरा की होय बहार।।

कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है-अर्थात् वह धान उपजता है।

आंक से कोदो, नीम जवा।
गाड़र गेहूँ बेर चना।।

यदि मदार खूब फूलता है तो कोदो की फसल अच्छी है। नीम के पेड़ में अधिक फूल-फल लगते है तो जौ की फसल, यदि गाड़र (एक घास जिसे खस भी कहते हैं) की वृद्धि होती है तो गेहूँ बेर और चने की फसल अच्छी होती है।

आद्रा में जौ बोवै साठी।
दु:खै मारि निकारै लाठी।।

जो किसान आद्रा में धान बोता है वह दु:ख को लाठी मारकर भगा देता है।
आद्रा बरसे पुनर्वसुजाय, दीन अन्न कोऊ न खाय।।

यदि आर्द्रा नक्षत्र में वर्षा हो और पुनर्वसु नक्षत्र में पानी न बरसे तो ऐसी फसल होगी कि कोई दिया हुआ अन्न भी नहीं खाएगा।

आस-पास रबी बीच में खरीफ।
नोन-मिर्च डाल के, खा गया हरीफ।।

खरीफ की फसल के बीच में रबी की फसल अच्छी नहीं होती।

अकाल संबंधी कहावतें

सावन सुक्ला सप्तमी, जो गरजै अधिरात।
बरसै तो झुरा परै, नाहीं समौ सुकाल।।

यदि सावन सुदी सप्तमी को आधी रात के समय बादल गरजे और पानी बरसे तो झुरा पड़ेगा; न बरसे तो समय अच्छा बीतेगा।

असुनी नलिया अन्त विनासै।
गली रेवती जल को नासै।। भरनी नासै तृनौ सहूतो।
कृतिका बरसै अन्त बहूतो।।

यदि चैत मास में अश्विनी नक्षत्र बरसे तो वर्षा ऋतु के अन्त में झुरा पड़ेगा; रेतवी नक्षत्र बरसे तो वर्षा नाममात्र की होगी; भरणी नक्षत्र बरसे तो घास भी सूख जाएगी और कृतिका नक्षत्र बरसे तो अच्छी वर्षा होगी।

अषाढ़ी पूनो दिना, गाज बीजु बरसंत।
नासे लच्छन काल का, आनंद मानो सत।।

आषाढ़ की पूणिमा को यदि बादल गरजे, बिजली चमके और पानी बरसे तो वह वर्ष बहुत सुखद बीतेगा।

मानसून के आगमन संबंधी कहावतें

रोहिनी बरसै मृग तपै, कुछ कुछ अद्रा जाय।
कहै घाघ सुने घाघिनी, स्वान भात नहीं खाय।।

यदि रोहिणी बरसे, मृगशिरा तपै और आर्द्रा में साधारण वर्षा हो जाए तो धान की पैदावार इतनी अच्छी होगी कि कुत्ते भी भात खाने से ऊब जाएंगे और नहीं खाएंगे।

उत्रा उत्तर दै गयी, हस्त गयो मुख मोरि।
भली विचारी चित्तरा, परजा लेइ बहोरि।।

उत्तर नक्षत्र ने जवाब दे दिया और हस्त भी मुंह मोड़कर चला गया। चित्रा नक्षत्र ही अच्छा है कि प्रजा को बसा लेता है। अर्थात् उत्तरा और हस्त में यदि पानी न बरसे और चित्रा में पानी बरस जाए तो उपज अच्छी होती है।

खनिके काटै घनै मोरावै।
तव बरदा के दाम सुलावै।।

ऊंख की जड़ से खोदकर काटने और खूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है। तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है।

हस्त बरस चित्रा मंडराय।
घर बैठे किसान सुख पाए।।

हस्त में पानी बरसने और चित्रा में बादल मंडराने से (क्योंकि चित्रा की धूप बड़ी विषाक्त होती है) किसान घर बैठे सुख पाते हैं।

हथिया पोछि ढोलावै।
घर बैठे गेहूँ पावै।।

यदि इस नक्षत्र में थोड़ा पानी भी गिर जाता है तो गेहूँ की पैदावार अच्छी होती है।

जब बरखा चित्रा में होय।
सगरी खेती जावै खोय।। चित्रा नक्षत्र की वर्षा प्राय: सारी खेती नष्ट कर देती है।

जो बरसे पुनर्वसु स्वाती।
चरखा चलै न बोलै तांती।

पुनर्वसु और स्वाती नक्षत्र की वर्षा से किसान सुखी रहते है कि उन्हें और तांत चलाकर जीवन निर्वाह करने की जरूरत नहीं पड़ती।
जो कहुं मग्घा बरसै जल।
सब नाजों में होगा फल।। मघा में पानी बरसने से सब अनाज अच्छी तरह फलते हैं।

जब बरसेगा उत्तरा।
नाज न खावै कुत्तरा।।

यदि उत्तरा नक्षत्र बरसेगा तो अन्न इतना अधिक होगा कि उसे कुते भी नहीं खाएंगे।

दसै असाढ़ी कृष्ण की, मंगल रोहिनी होय।
सस्ता धान बिकाइ हैं, हाथ न छुइहै कोय।।

यदि अषाढ़ कृष्ण पक्ष दशमी को मंगलवार और रोहिणी पड़े तो धान इतना सस्ता बिकेगा कि कोई हाथ से भी न छुएगा।

अषाढ़ मास आठें अंधियारी।
जो निकले बादर जल धारी।। चन्दा निकले बादर फोड़।
साढ़े तीन मास वर्षा का जोग।।

यदि अषाढ़ बदी अष्टमी को अन्धकार छाया हुआ हो और चन्द्रमा बादलों को फोड़कर निकले तो बड़ी आनन्ददायिनी वर्षा होगी और पृथ्वी पर आनन्द की बाढ़-सी आ जाएगी।

अषाढ़ मास पूनो दिवस, बादल घेरे चन्द्र।
तो भड्डरी जोसी कहैं, होवे परम अनन्द।।

यदि अषाढ़ी पूर्णिमा को चन्द्रमा बादलों से ढंका रहे तो भड्डरी ज्योतिषी कहते हैं कि उस वर्ष आनन्द ही आनन्द रहेगा।

Acharya Shankar Upadhyay

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

MAHA SHIVRATRI Shri Shiv Mandir Rotterdam

MAHA SHIVRATRI

In aanloop naar de Maha Shivratri, zal er een 3-daagse jag worden gehouden vanaf maandag 28 februari tot en met woensdag 2 maaart.
Vyaas Sant Shri Swami Brahma Deo Upadhyay ji
pujari's
pt. N. Sardjoe Missier ji en pt. Shankar Upadhyay ji


Programma
pooja vanaf 17.00 uur
parvachan vanaf 19.30 uur
aarti presaad 21.00 uur
Op woensdag 2 maart zal de traditionele jagran gehouden worden tot de volgende ochtend. Tijdens deze jagran kunt meedoen met o.a. maladjaap, meditatie en Shiv Sahasranama!

Shri Shiv Mandir
Nozemanstraat 3
3023 TK Rotterdam

।com">muhurta@hotmail।com