बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

घाघ और भड्डरी

नक्षत्र ज्योतिष विद्या के महारथी कहे जाने वाले घाघ-भड्डरी की मौसम संबंधी कहावतें आज भी अचूक हैं और अगर इनको गंभीरता से लिया जाए तो मानसून के बारे में सटीक जानकारी मिल सकती है। भारतीय जन-मानस में रचे बसे घाघ-भड्डरी इसी परंपरा की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं|

कृषि या मौसम वैज्ञानिक सदृश्य छवि बना चुके घाघ और भड्डरी के अस्तित्व के सम्बन्ध में कई मान्यताएं प्रचलित है। हिन्दी भाषी क्षेत्रों में प्रचलित ये कहावतें आम ग्रामीणों के लिए मौसम के पूर्वानुमान का अचूक स्रोत है। लोक मान्यताओं के अनुसार घाघ एक प्रसिद्ध ज्योतिषी भी थे, जिन्होंने भड्डरी जो संभवतः गैर सवर्ण स्त्री थी की विद्वता से प्रभावित हो उससे विवाह किया था। घाघ-भड्डरी की नक्षत्र गणना पर आधारित कहावतें ग्रामीण अंचलों में आज भी बुजुर्गों के लिए मौसम को मापने का यंत्र हैं। इन दिनों जब सभी मानसून में देरी होने से व्यग्र हो रहे हैं, वर्षा और मानसून को लेकर उनकी कहावतों पर गौर किया जा सकता है। भड्डरी की एक कहावत है –

उलटे गिरगिट ऊँचे चढै।
बरखा होइ भूइं जल बुडै।।

यानी यदि गिरगिट पेड़ पर उल्टा होकर अर्थात पूंछ ऊपर की ओर करके चढे़ तो समझना चाहिए कि इतनी वर्षा होगी कि पृथ्वी पानी में डूब जाएगी। इसी तरह भड्डरी कहते हैं, कि

पछियांव के बाद।
लबार के आदर।।

जो बादल पश्चिम से या पश्चिम की हवा से उठता है ‘वह नहीं बरसता’ जैसे झूठ बोलने वाले का आदर निष्फल होता है।

सूखे की तरफ संकेत करने वाली घाघ-भड्डरी की एक कहावत है –

दिन को बादर रात को तारे।
चलो कंत जहं जीवैं बारे।।

इसका मतलब है कि अगर दिन में बादल हों और रात में तारे दिखाई पड़े तो सूखा पडे़गा। हे नाथ वहां चलो जहां बच्चे जीवित रह सकें।

सूखे से ही जुड़ी उनकी एक और कहावत है –

माघ क ऊखम जेठ क जाड।
पहिलै परखा भरिगा ताल।।
कहैं घाघ हम होब बियोगी।
कुआं खोदिके धोइहैं धोबी।।

अर्थात यदि माघ में गर्मी पडे़ और जेठ में जाड़ा हो, पहली वर्षा से तालाब भर जाए तो घाघ कहते हैं कि ऐसा सूखा पडे़गा कि हमें परदेश जाना पडे़गा और धोबी कुएं के पानी से कपडे़ धोएंगे।

अतिवृष्टि की तरफ संकेत करने वाली भड्डरी की एक और कहावत है –

ढेले ऊपर चील जो बोलै।
गली गली में पानी डोलै।।

इसका तात्पर्य है कि अगर चील ढेले पत्थर पर बैठकर बोले तो समझना चाहिए कि इतना पानी बरसेगा कि गली, कूचे पानी से भर जाएंगे।

वर्षा की विदाई का संकेत देने वाली उनकी एक कहावत है –

रात करे घापघूप दिन करे छाया।
कहैं घाघ अब वर्षा गया।।

अर्थात यदि रात में खूब घटा घिर आए, दिन में बादल तितर-बितर हो जाएं और उनकी छाया पृथ्वी पर दौड़ने लगे तो घाघ कहते हैं कि वर्षा को गई हुई समझना चाहिए।

सर्व तपै जो रोहिनी, सर्व तपै जो मूर।
परिवा तपै जो जेठ की, उपजै सातो तूर।।

यदि रोहिणी भर तपे और मूल भी पूरा तपे तथा जेठ की प्रतिपदा तपे तो सातों प्रकार के अन्न पैदा होंगे।

शुक्रवार की बादरी, रही सनीचर छाय।
तो यों भाखै भड्डरी, बिन बरसे ना जाए।।

यदि शुक्रवार के बादल शनिवार को छाए रह जाएं, तो भड्डरी कहते हैं कि वह बादल बिना पानी बरसे नहीं जाएगा।

भादों की छठ चांदनी, जो अनुराधा होय।
ऊबड़ खाबड़ बोय दे, अन्न घनेरा होय।।

यदि भादो सुदी छठ को अनुराधा नक्षत्र पड़े तो ऊबड़-खाबड़ जमीन में भी उस दिन अन्न बो देने से बहुत पैदावार होती है।

अद्रा भद्रा कृत्तिका, अद्र रेख जु मघाहि।
चंदा ऊगै दूज को सुख से नरा अघाहि।।

यदि द्वितीया का चन्द्रमा आर्द्रा नक्षत्र, कृत्तिका, श्लेषा या मघा में अथवा भद्रा में उगे तो मनुष्य सुखी रहेंगे।

सोम सुक्र सुरगुरु दिवस, पौष अमावस होय।
घर घर बजे बधावनो, दुखी न दीखै कोय।।

यदि पूस की अमावस्या को सोमवार, शुक्रवार बृहस्पतिवार पड़े तो घर घर बधाई बजेगी-कोई दुखी न दिखाई पड़ेगा।

सावन पहिले पाख में, दसमी रोहिनी होय।
महंग नाज अरु स्वल्प जल, विरला विलसै कोय।।

यदि श्रावण कृष्ण पक्ष में दशमी तिथि को रोहिणी हो तो समझ लेना चाहिए अनाज महंगा होगा और वर्षा स्वल्प होगी, विरले ही लोग सुखी रहेंगे।

पूस मास दसमी अंधियारी।
बदली घोर होय अधिकारी।
सावन बदि दसमी के दिवसे।
भरे मेघ चारो दिसि बरसे।।

यदि पूस बदी दसमी को घनघोर घटा छाई हो तो सावन बदी दसमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी। कहीं कहीं इसे यों भी कहते हैं-‘काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो।

पूस उजेली सप्तमी, अष्टमी नौमी जाज।
मेघ होय तो जान लो, अब सुभ होइहै काज।।

यदि पूस सुदी सप्तमी, अष्टमी और नवमी को बदली और गर्जना हो तो सब काम सुफल होगा अर्थात् सुकाल होगा।

अखै तीज तिथि के दिना, गुरु होवे संजूत।
तो भाखैं यों भड्डरी, उपजै नाज बहूत।।

यदि वैशाख में अक्षम तृतीया को गुरुवार पड़े तो खूब अन्न पैदा होगा।

पैदावार संबंधी कहावतें

रोहिनी जो बरसै नहीं, बरसे जेठा मूर।
एक बूंद स्वाती पड़ै, लागै तीनिउ नूर।।

यदि रोहिनी में वर्षा न हो पर ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र बरस जाए तथा स्वाती नक्षत्र में भी कुछ बूंदे पड़ जाएं तो तीनों अन्न (जौ, गेहूँ , और चना) अच्छा होगा।

खेत जोतने के लिए

गहिर न जोतै बोवै धान।

सो घर कोठिला भरै किसान।। गहरा न जोतकर धान बोने से उसकी पैदावार खूब होती है।
गेहूँ भवा काहें।

अषाढ़ के दुइ बाहें।। गेहूँ भवा काहें।
सोलह बाहें नौ गाहें।। गेहूँ भवा काहें।
सोलह दायं बाहें।। गेहूँ भवा काहें।
कातिक के चौबाहें।।

गेहूँ पैदावार अच्छी कैसे होती है ? आषाढ़ महीने में दो बांह जोतने से; कुल सोलह बांह करने से और नौ बार हेंगाने से; कातिक में बोवाई करने से पहले चार बार जोतने से।

गेहूँ बाहें।
धान बिदाहें।।

गेहूँ की पैदावार अधिक बार जोतने से और धान की पैदावार विदाहने (धान होने के चार दिन बाद जोतवा देने) से अच्छी होती है।

गेहूँ मटर सरसी।
औ जौ कुरसी।।

गेहूँ और मटर बोआई सरस खेत में तथा जौ की बोआई कुरसौ में करने से पैदावार अच्छी होती है।

गेहूँ बाहा, धान गाहा।
ऊख गोड़ाई से है आहा।।

जौ-गेहूँ कई बांह करने से धान बिदाहने से और ऊख कई बार गोड़ने से इनकी पैदावार अच्छी होती है।

गेहूँ बाहें, चना दलाये।
धान गाहें, मक्का निराये।
ऊख कसाये।

खूब बांह करने से गेहूँ , खोंटने से चना, बार-बार पानी मिलने से धान, निराने से मक्का और पानी में छोड़कर बाद में बोने से उसकी फसल अच्छी होती है।

पुरुवा रोपे पूर किसान।
आधा खखड़ी आधा धान।।

पूर्वा नक्षत्र में धान रोपने पर आधा धान और आधा पैया (छूछ) पैदा होता है।

पुरुवा में जिनि रोपो भैया।
एक धान में सोलह पैया।।

पूर्वा नक्षत्र में धान न रोपो नहीं तो धान के एक पेड़ में सोलह पैया पैदा होगा।

बुआई संबंधी कहावतें

कन्या धान मीनै जौ।
जहां चाहै तहंवै लौ।।

कन्या की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन की संक्रान्ति होने पर जौ की फसल काटनी चाहिए।

कुलिहर भदई बोओ यार।
तब चिउरा की होय बहार।।

कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है-अर्थात् वह धान उपजता है।

आंक से कोदो, नीम जवा।
गाड़र गेहूँ बेर चना।।

यदि मदार खूब फूलता है तो कोदो की फसल अच्छी है। नीम के पेड़ में अधिक फूल-फल लगते है तो जौ की फसल, यदि गाड़र (एक घास जिसे खस भी कहते हैं) की वृद्धि होती है तो गेहूँ बेर और चने की फसल अच्छी होती है।

आद्रा में जौ बोवै साठी।
दु:खै मारि निकारै लाठी।।

जो किसान आद्रा में धान बोता है वह दु:ख को लाठी मारकर भगा देता है।
आद्रा बरसे पुनर्वसुजाय, दीन अन्न कोऊ न खाय।।

यदि आर्द्रा नक्षत्र में वर्षा हो और पुनर्वसु नक्षत्र में पानी न बरसे तो ऐसी फसल होगी कि कोई दिया हुआ अन्न भी नहीं खाएगा।

आस-पास रबी बीच में खरीफ।
नोन-मिर्च डाल के, खा गया हरीफ।।

खरीफ की फसल के बीच में रबी की फसल अच्छी नहीं होती।

अकाल संबंधी कहावतें

सावन सुक्ला सप्तमी, जो गरजै अधिरात।
बरसै तो झुरा परै, नाहीं समौ सुकाल।।

यदि सावन सुदी सप्तमी को आधी रात के समय बादल गरजे और पानी बरसे तो झुरा पड़ेगा; न बरसे तो समय अच्छा बीतेगा।

असुनी नलिया अन्त विनासै।
गली रेवती जल को नासै।। भरनी नासै तृनौ सहूतो।
कृतिका बरसै अन्त बहूतो।।

यदि चैत मास में अश्विनी नक्षत्र बरसे तो वर्षा ऋतु के अन्त में झुरा पड़ेगा; रेतवी नक्षत्र बरसे तो वर्षा नाममात्र की होगी; भरणी नक्षत्र बरसे तो घास भी सूख जाएगी और कृतिका नक्षत्र बरसे तो अच्छी वर्षा होगी।

अषाढ़ी पूनो दिना, गाज बीजु बरसंत।
नासे लच्छन काल का, आनंद मानो सत।।

आषाढ़ की पूणिमा को यदि बादल गरजे, बिजली चमके और पानी बरसे तो वह वर्ष बहुत सुखद बीतेगा।

मानसून के आगमन संबंधी कहावतें

रोहिनी बरसै मृग तपै, कुछ कुछ अद्रा जाय।
कहै घाघ सुने घाघिनी, स्वान भात नहीं खाय।।

यदि रोहिणी बरसे, मृगशिरा तपै और आर्द्रा में साधारण वर्षा हो जाए तो धान की पैदावार इतनी अच्छी होगी कि कुत्ते भी भात खाने से ऊब जाएंगे और नहीं खाएंगे।

उत्रा उत्तर दै गयी, हस्त गयो मुख मोरि।
भली विचारी चित्तरा, परजा लेइ बहोरि।।

उत्तर नक्षत्र ने जवाब दे दिया और हस्त भी मुंह मोड़कर चला गया। चित्रा नक्षत्र ही अच्छा है कि प्रजा को बसा लेता है। अर्थात् उत्तरा और हस्त में यदि पानी न बरसे और चित्रा में पानी बरस जाए तो उपज अच्छी होती है।

खनिके काटै घनै मोरावै।
तव बरदा के दाम सुलावै।।

ऊंख की जड़ से खोदकर काटने और खूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है। तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है।

हस्त बरस चित्रा मंडराय।
घर बैठे किसान सुख पाए।।

हस्त में पानी बरसने और चित्रा में बादल मंडराने से (क्योंकि चित्रा की धूप बड़ी विषाक्त होती है) किसान घर बैठे सुख पाते हैं।

हथिया पोछि ढोलावै।
घर बैठे गेहूँ पावै।।

यदि इस नक्षत्र में थोड़ा पानी भी गिर जाता है तो गेहूँ की पैदावार अच्छी होती है।

जब बरखा चित्रा में होय।
सगरी खेती जावै खोय।। चित्रा नक्षत्र की वर्षा प्राय: सारी खेती नष्ट कर देती है।

जो बरसे पुनर्वसु स्वाती।
चरखा चलै न बोलै तांती।

पुनर्वसु और स्वाती नक्षत्र की वर्षा से किसान सुखी रहते है कि उन्हें और तांत चलाकर जीवन निर्वाह करने की जरूरत नहीं पड़ती।
जो कहुं मग्घा बरसै जल।
सब नाजों में होगा फल।। मघा में पानी बरसने से सब अनाज अच्छी तरह फलते हैं।

जब बरसेगा उत्तरा।
नाज न खावै कुत्तरा।।

यदि उत्तरा नक्षत्र बरसेगा तो अन्न इतना अधिक होगा कि उसे कुते भी नहीं खाएंगे।

दसै असाढ़ी कृष्ण की, मंगल रोहिनी होय।
सस्ता धान बिकाइ हैं, हाथ न छुइहै कोय।।

यदि अषाढ़ कृष्ण पक्ष दशमी को मंगलवार और रोहिणी पड़े तो धान इतना सस्ता बिकेगा कि कोई हाथ से भी न छुएगा।

अषाढ़ मास आठें अंधियारी।
जो निकले बादर जल धारी।। चन्दा निकले बादर फोड़।
साढ़े तीन मास वर्षा का जोग।।

यदि अषाढ़ बदी अष्टमी को अन्धकार छाया हुआ हो और चन्द्रमा बादलों को फोड़कर निकले तो बड़ी आनन्ददायिनी वर्षा होगी और पृथ्वी पर आनन्द की बाढ़-सी आ जाएगी।

अषाढ़ मास पूनो दिवस, बादल घेरे चन्द्र।
तो भड्डरी जोसी कहैं, होवे परम अनन्द।।

यदि अषाढ़ी पूर्णिमा को चन्द्रमा बादलों से ढंका रहे तो भड्डरी ज्योतिषी कहते हैं कि उस वर्ष आनन्द ही आनन्द रहेगा।

Acharya Shankar Upadhyay

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

MAHA SHIVRATRI Shri Shiv Mandir Rotterdam

MAHA SHIVRATRI

In aanloop naar de Maha Shivratri, zal er een 3-daagse jag worden gehouden vanaf maandag 28 februari tot en met woensdag 2 maaart.
Vyaas Sant Shri Swami Brahma Deo Upadhyay ji
pujari's
pt. N. Sardjoe Missier ji en pt. Shankar Upadhyay ji


Programma
pooja vanaf 17.00 uur
parvachan vanaf 19.30 uur
aarti presaad 21.00 uur
Op woensdag 2 maart zal de traditionele jagran gehouden worden tot de volgende ochtend. Tijdens deze jagran kunt meedoen met o.a. maladjaap, meditatie en Shiv Sahasranama!

Shri Shiv Mandir
Nozemanstraat 3
3023 TK Rotterdam

।com">muhurta@hotmail।com


बेलिज में भी जमा है भारतीयों का काला धन


ज्ञानपुर (भदोही): स्विटजरलैंड सहित दुनिया के 110 देशों में भारतीयों की ब्लैक मनी जमा है। बड़ी संख्या में भारतीयों ने काले धन को बेलिज में भी जमा कर रखा है। केन्द्र सरकार ने इस पर ध्यान दिया तो दूध का दूध, पानी का पानी सामने आ जायेगा।

यह दावा किया है महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय हालैंड के पूर्व उपकुलपति व ब्रह्मविद्यापीठम् के पीठाधीश ब्रह्मदेव महराज ने। वह सोमवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अमेरिका के समीप स्थित स्वतंत्र देश बेलिज में भी बड़ी संख्या में भारतीयों का काला धन जमा है। देश के भी कई निजी भारतीय बैंकों में काला धन जमा किया गया है। उन्होंने भ्रष्टाचार तथा विदेशी बैंकों में जमा ब्लैक मनी के खिलाफ योग गुरु बाबा रामदेव के अभियान की तारीफ करते हुए हाल ही में कांग्रेस सांसद निनोंग इरिंग की अपमानजनक टिप्पणी पर कहा कि भ्रष्टाचारियों को ब्लैक मनी का विरोध रास नहीं आ रहा है। इस तरह के विरोध से बाबा रामदेव का अभियान कमजोर पड़ने वाला नहीं, बल्कि और धार पकड़ेगा। कहा कि उद्योगपति, माफिया व राजनीतिज्ञ सांठ गांठ के चलते ही देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है। जब तक इस पर प्रभावी ढंग से अंकुश नहीं लगाया जाता भ्रष्टाचार का खात्मा संभव नहीं है। इसी तरह संतश्री ब्रह्मदेव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दो लाख करोड़ का गरीबों के खाद्यान्न का घोटाला हुआ है। इस खाद्यान्न को नेपाल, बांग्लादेश आदि कई देशों में बेचा गया है। इसमें भदोही जिले का भी खाद्यान्न शामिल है। इस घोटाले में भदोही जिले के कितने अफसर शामिल हैं, इसका भी पता लगाया जाय। उन्होंने इस बात पर दु:ख जताया कि हिन्दी लेखकों को प्रवासी कहा जाता है। कहा कि विश्व के 20 देशों में वह हिन्दी पढ़ाने के साथ ही उसका प्रचार-प्रचार कर रहे हैं। इसके बाद भी बारी जब सम्मान की आती है तो सरकार की ओर से विदेशों में रह रहे उद्यमियों को ही यह सम्मान मिलता है। कहा कि विदेशों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में देश के अन्य प्रांतों गुजरात, बिहार आदि स्थानों से वहां के मुख्यमंत्री सहित अन्य प्रतिनिधि शामिल होते हैं लेकिन यूपी से प्रतिनिधित्व न होना दु:ख की बात है।

इनसेट..

24 को होंगे विदेश रवाना

ज्ञानपुर (भदोही): ब्रह्मदेव महराज दो माह के विदेश प्रवास पर 24 फरवरी को रवाना होंगे। इस दौरान वे हालैंड, नार्वे, डेनमार्क, हवाई द्वीप, अमेरिका, वेस्टइंडीज आदि देशों की यात्रा करेंगे।

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

सूरीनाम में कुंभ की सफलता देश के लिए गौरव


सूरीनाम में कुंभ की सफलता देश के लिए गौरव Feb 15, 10:48 pm
ज्ञानपुर (भदोही): दक्षिण अमेरिका के सूरीनाम में 14 जनवरी से आठ फरवरी तक चले सूर्यकुंभ पर्व की सफलता से महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय हालैंड के पूर्व उपकुलपति व ब्रह्मविद्यापीठम्(अंतरराष्ट्रीय) के पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मदेव महाराज बेहद गदगद है। विदेश से चार दिनों की यात्रा पर आये स्वामी ब्रह्मदेव सोमवार को ज्ञानपुर स्थित अपने आवास पर जागरण से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उम्मीद से कहीं अधिक सफलता कुंभ मेले के पहले आयोजन में मिली। यह देशवासियों के साथ ही भारतीय प्रवासियों के लिए गौरव का महान क्षण था। इसकी सुखद कल्पना मात्र से हृदय प्रफुल्लित हो उठता है। इस दौरान मिले भारतीय प्रवासियों के साथ ही अन्य लोगों का स्नेह, प्यार, दुलार व श्रद्धा जेहन में हमेशा रहेगा। उन्होंने बताया कि यह कुंभ महोत्सव हालैंड की सनातन धर्म संस्था के अध्यक्ष आचार्य शंकर व सूरीनाम के कई मंदिरों के संयोजक रुदीरामधनी की अध्यक्षता में आयोजित की गयी थी। विदेश में लगने वाले इस पहले कुंभ में भारत से विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल, हालैंड महर्षि विश्वविद्यालय के महाराजा राजाराम व सूरीनाम के समाजसेवी राज जादू के अलावा गयाना, ट्रीनिडाड, फ्रेंच, बारबेडस, उत्तरी अमेरिका से बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। इस ऐतिहासिक धार्मिक कार्यक्रम का उद्घाटन सूरीनाम के उपराष्ट्रपति रमन एब्राहिम ने किया। इस दौरान रामकथा 11 दिनों तक चली।


दीपावली सूरीनाम का राष्ट्रीय पर्व

ज्ञानपुर (भदोही): स्वामी ब्रह्मदेव महाराज ने बताया कि भारत के ऐतिहासिक पर्व दीपावली को सूरीनाम देश ने अपना राष्ट्रीय पर्व घोषित किया है। इस दिन यहां सार्वजनिक अवकाश रहेगा। यह घोषणा सूरीनाम के राष्ट्रपति डी.बाउटर्स ने कुंभ मेले के दौरान की। बताया कि राष्ट्रपति ने कुंभ महोत्सव के लिए 25 एकड़ जमीन देने की भी घोषणा की है। इसके साथ ही डी.बाउटर्स ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए आवश्यक कदम उठाने की भारत के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति से भी मांग की।

सूरीनाम में कुंभ की सफलता देश के लिए गौरव

सूरीनाम में कुंभ की सफलता देश के लिए गौरवFeb 15, 10:48 pm

ज्ञानपुर (भदोही): दक्षिण अमेरिका के सूरीनाम में 14 जनवरी से आठ फरवरी तक चले सूर्यकुंभ पर्व की सफलता से महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय हालैंड के पूर्व उपकुलपति व ब्रह्मविद्यापीठम्(अंतरराष्ट्रीय) के पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मदेव महाराज बेहद गदगद है। विदेश से चार दिनों की यात्रा पर आये स्वामी ब्रह्मदेव सोमवार को ज्ञानपुर स्थित अपने आवास पर जागरण से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उम्मीद से कहीं अधिक सफलता कुंभ मेले के पहले आयोजन में मिली। यह देशवासियों के साथ ही भारतीय प्रवासियों के लिए गौरव का महान क्षण था। इसकी सुखद कल्पना मात्र से हृदय प्रफुल्लित हो उठता है। इस दौरान मिले भारतीय प्रवासियों के साथ ही अन्य लोगों का स्नेह, प्यार, दुलार व श्रद्धा जेहन में हमेशा रहेगा। उन्होंने बताया कि यह कुंभ महोत्सव हालैंड की सनातन धर्म संस्था के अध्यक्ष आचार्य शंकर व सूरीनाम के कई मंदिरों के संयोजक रुदीरामधनी की अध्यक्षता में आयोजित की गयी थी। विदेश में लगने वाले इस पहले कुंभ में भारत से विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल, हालैंड महर्षि विश्वविद्यालय के महाराजा राजाराम व सूरीनाम के समाजसेवी राज जादू के अलावा गयाना, ट्रीनिडाड, फ्रेंच, बारबेडस, उत्तरी अमेरिका से बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। इस ऐतिहासिक धार्मिक कार्यक्रम का उद्घाटन सूरीनाम के उपराष्ट्रपति रमन एब्राहिम ने किया। इस दौरान रामकथा 11 दिनों तक चली।

इनसेट..

दीपावली सूरीनाम का राष्ट्रीय पर्व

ज्ञानपुर (भदोही): स्वामी ब्रह्मदेव महाराज ने बताया कि भारत के ऐतिहासिक पर्व दीपावली को सूरीनाम देश ने अपना राष्ट्रीय पर्व घोषित किया है। इस दिन यहां सार्वजनिक अवकाश रहेगा। यह घोषणा सूरीनाम के राष्ट्रपति डी.बाउटर्स ने कुंभ मेले के दौरान की। बताया कि राष्ट्रपति ने कुंभ महोत्सव के लिए 25 एकड़ जमीन देने की भी घोषणा की है। इसके साथ ही डी.बाउटर्स ने अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए आवश्यक कदम उठाने की भारत के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति से भी मांग की।

मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

रोज सुबह गौ दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया

11 फरवरी को भीष्मा अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन गाय दान का महत्व बहुत है। आज के दिन गाय का पूजन करके उनके संरक्षण करने से मनुष्य को पुण्य फल की प्राप्ति होती‍ है। जिस घर में गौ-पालन किया जाता है उस घर के लोग संस्कारी और सुखी होते हैं। इसके अलावा जीवन-मरण से मोक्ष भी गौमाता ही दिलाती है। मरने से पहले गाय की पूँछ छूते हैं ताकि जीवन में किए गए पाप से मुक्ति मिले।

लोग पूजा-पाठ करके धन पाने की इच्छा रखते हैं लेकिन भाग्य बदलने वाली तो गौ-माता है। उसके दूध से जीवन मिलता है। रोज पंचगव्य का सेवन करने वाले पर तो जहर का भी असर नहीं होता और वह सभी व्याधियों से मुक्त रहता है। गाय के दूध में वे सारे तत्व मौजूद हैं जो जीवन के लिए जरूरी हैं। वैज्ञानिक भी मानते हैं कि गाय के दूध में सारे पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। मीरा जहर पीकर जीवित बच गई क्योंकि वे पंचगव्य का सेवन करती थीं। लेकिन कृष्ण को पाने के लिए आज लोगों में मीरा जैसी भावना नहीं बची।

गौ माता की महिमा अपरंपार है। मनुष्य अगर जीवन में गौ माता को स्थान देने का संकल्प कर ले तो वह संकट से बच सकता है। मनुष्य को चाहिए कि वह गाय को मंदिरों और घरों में स्थान दे, क्योंकि गौमाता मोक्ष दिलाती है। पुराणों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि गाय की पूँछ छूने मात्र से मुक्ति का मार्ग खुल जाता है।



ND
गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता। मनुष्य अगर गौमाता को महत्व देना सीख ले तो गौ माता उनके दुख दूर कर देती है। गाय हमारे जीवन से जु़ड़ी है। उसके दूध से लेकर मूत्र तक का उपयोग किया जा रहा है। गौमूत्र से बनने वाली दवाएँ बीमारियों को दूर करने के लिए रामबाण मानी जाती है।

रोज सुबह गौ दर्शन हो जाए तो समझ लें कि दिन सुधर गया, क्योंकि गौ-दर्शन के बाद और किसी के दर्शन की आवश्यकता नहीं रह जाती। लोग अपने लिए आलीशान इमारतें बना रहे हैं यदि इतना धन कमाने वाले अपनी कमाई का एक हिस्सा भी गौ सेवा और उसकी रक्षा के लिए खर्च करें तो गौमाता उनकी रक्षा करेगी। इसलिए गौ दर्शन सबसे सर्वोत्तम माना जाता है।

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

इसाई संस्थाओं को डराता उनका पाप

इसाई संस्थाओं को डराता उनका पाप
ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जॉन दयाल की तरफ से एक प्रेस नोट जारी किया गया की नर्मदा कुम्भ में आने वाले लोग ईसाई प्रार्थना सभा में बिघ्न डालने की कोसिस की जा रही है एसा आरोप उन्होंने नर्मदा कुम्भ के अयोजके पर लगया । लेकिन कोई प्रमाण न दे सके .प्रमाण दे भी नहीं सकते इसलिए की कोई एसी बात नहीं है ।
उनके मन का ये जो डर है ये सभी ईसाई संस्थाओ का है । उनके अपने किये गए धर्मांतरण , राष्ट्रान्तरण का पाप उनको अब सताने लगा है । उसी तरह से जैसे चोर हर खटकते हुए वास्तु से डरता है को जाग न जाये ।
ईसाई संस्थाओ ने जो पाप की गंगा भाई उसको धोने के लिए प्रभु ईसा को फिर से धरती पर आना होगा । जिस तरह से चर्चो में बच्चो बच्चियों का बलात्कार किया गया , छिपाया गया सारीदुनिया अब जानती है ,जॉन दयाल प्रार्थना है अब बंद करो प्रभु ईसा मसीह को मत बदनाम करो । नर्म कुम्भ से तमाम गरीब लोग जगेगे जिनका ईसाईयत के नाम , ईसा केनाम पर शोषण हुवा , वो गरीब उठा खरे हो रहे है जिनकी गरीबी का फायदा उठा कर धोखेसे धर्मं परिवर्तन कर उनको पाप के गर्त में धकेल दिया गया मिस्टर जॉन मत अपने किये गए पापो से ईसा मसीह तेरे पापो को ध्नोने केलिए फिर से अवतार लेगे । अगर नहीं लेगे तो भारत की जनता तेरे जेसे पापियों को अब बर्दास्त करने वाली नहीं जय हिंद जय भारत .

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

सूरीनाम में कुम्भ पर्व एक अध्यात्मिक अनुभव


सूरीनाम में कुम्भ पर्व एक अध्यात्मिक अनुभव
पारामारिबो। दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो शहर में 14 जनवरी 2011 से समुद्र के तट पर प्रवासी भारतीयों के लिए सूर्य कुंभ पर्व का आयोजन किया गया इसमें नेदरलैंड जर्मनी त्रिनिदाद अमेरिका के से आये तमाम लोगो ने भाग लिया नेदरलैंड से अपनी पत्नी के साथ ए हुए हान्स रामचरण का कहना है ये सूर्य कुम्भ पर्व मेरे जीवन का बहुत ही विशेष अनुभव है यहाँ पर हमने हर रोज समुद्र को गंगा मान कर स्नान किया .
प्रश्न- आपकी हिंदी बहुत अची है आप भोजपुरी भी बहुत सुन्दर ढंग से बोल लेते है कहा सीखा अपने ?

उत्तर - हँसते हुए जबाब दिया भोजपुरी हमारी मात्री भाषा है , हिंदी हमने हिंदी फ़िल्म देखते देखते सीखा है .

करीब १४० साल पहले हमरे पूर्वज जब सूरीनाम आये तब वे सभी भोज पूरी बोलते थे हमने अपने माँ बाप से सीखा . घर में हम लोग भोजपुरी ही बोलते है .

प्रश्न - सूर्य कुम्भ का विचार सूरीनाम में ये विचार आपके मन में कहा से आया ?

उत्तर - हमारे परवार के पुरोहित आचार्य शंकर उपाध्याय ने ये विचार पहली बार रखा हम सब को उनके विचार बहुत भाये हम सब मिल कर सहयोग केलिए तेयार हो गए .

प्रश्न - सूरीनाम में इसका असर क्या हुवा ?

उत्तर - अभी तक सूरीनाम में सभी हिन्दू संस्थाए अलग अलग काम करती थी कोई भी इक साथ मिलकर कार्य करने के लिए तीयार नहीं था .आचार्य शंकर के प्रयास से सूरीनाम के इतिहास में पहलीबार सभी संस्थाए एक साथ आकार हिन्दू समाज की एकता का विचार रखा सब एक होकर कम करने का सकल्प लिया . लगता है सब समाज अब एक होकर काम करेगा .

प्रश्न - सूर्य कुम्भ पर्व कब तक चलेगा ?

उत्तर - इसका समापन 18 फरवरी को होगा। इस दौरान यहां दुनिया के सैकड़ों विद्वान सनातन धर्म के माध्यम से विश्व में सुख शांति की स्थापना कैसे हो; समेत कई गंभीर विषयों पर चिंतन-मंथन करेंगे।


सूर्य कुंभ पर्व आयोजन समिति के अध्यक्ष श्रीमान रूदी रामधनी ने बताया कि इस पर्व का आयोजन सूरीनाम में पहली बार हो रहा है। इसमें त्रिनिदाद, गुयाना और अमेरिका सहित विश्व के कई देशों के विद्वानों को आमंत्रित किया गया है तथा इसमें आम जनता का हार्दिक स्वागत है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन उन प्रवासी भारतीयों के लिए एक वरदान है जो भारत पंहुच कर माघ स्नान का पुण्य नहीं प्राप्त कर सकते।

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

कुंभ पर्व से मिलेगी सुख व शांति


आरती करते हुए श्रीमान हेमंत प्रसाद शिवदयाल पत्नी के साथ








कुंभ पर्व से मिलेगी सुख व शांति

पारामारिबो। सूरीनाम में आयोजित “सूर्य कुंभ पर्व” के एक कार्यक्रम में देश के लोक निर्माण मंत्री श्री रामवन अब्राहम ने कहा- “यह पर्व देश में सुख, शांति, समता और संस्कार का निर्माण करेगी। मुझे विश्वास है कि देश की शुख शांति के लिए कुंभ मेले में होने वाली प्रार्थना परमेश्वर स्वीकार करेंगे।”

विदित हो कि देश की राजधानी परामारिबो स्थित सूरीनाम नदी के गोवर्धन घाट पर इस मेले का आयोजन किया गया है। मकर संक्रांति से शुरू होकर 18 फरवरी तक चलने वाले इस मेले का उद्घाटन सूरीनाम के राष्ट्रपति देसी बोतरस ने 15 जनवरी को किया था।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय संत स्वामी ब्रह्म वैरागी जी महाराज ने कहा कि भगवान राम ने पूरे जीवन भर समाज को जोड़ने का ही कार्य किया। आज यही कार्य सूर्य कुंभ के द्वारा हो रहा है। स्वामी जी कुंभ परिसर में राम कथा भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए राम कथा से बड़ा कोई साधन नहीं है।

कार्यक्रम में नीदरलैंड सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष आचार्य शंकर ने मकर संक्रांति के महत्व पर प्रकाश डाला। त्रिनिदाद से आई हुईं सुश्री अनंदा ने विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल के संदेश का वाचन किया।

पाक में हिंदू व्यापारी की गोली मारकर हत्या


पाक में हिंदू व्यापारी की गोली मारकर हत्या

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के क्वेटा शहर में अपने अपहरण का विरोध करने पर एक हिंदू व्यापारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह जानकारी पुलिस ने दी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रमेश कुमार की रविवार की कंधारी बाजार स्थित अपनी दुकान की ओर जाते समय हत्या कर दी गई। कार में सवार बंदूकधारियों ने अपहरण करने के इरादे से रमेश को बंदूक की नोक पर रोकने की कोशिश की। उसके विरोध करने पर अपहरणकर्ताओं ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी।
वारदात को अंजाम देने के बाद हमलावर फरार हो गए। अस्पताल के सूत्रों ने बताया, 'सिर में दो गोली लगने से व्यक्ति की मौत हो गई।' गौरतलब है कि पिछले तीन वर्षो में क्वेटा में अपहरण के प्रयास में तीन हिंदू कारोबियों की हत्या की जा चुकी है.

रविवार, 6 फ़रवरी 2011

हिंदुस्तान से 9000 किमी दूर, घाना में हिंदू मठ



हिंदुस्तान से 9000 किमी दूर, घाना में हिंदू मठ का होना ही बेहद आश्चर्यजनक है,
घाना अफ्रीका के पश्चिमी तटीय इलाके में स्थित है पता चला कि यहां पर एक ठेठ अफ्रीकी हिंदू मठ भी है. घाना सारे देश की बात करें तो यहां ईसाई धर्म की प्रधानता है लेकिन उत्तरी घाना में इस्लाम सबसे ज्यादा प्रभावी है. धर्म से इतर अधिकांश घाना निवासी अब तक अपनी जनजातीय परंपराओं जैसे पूर्वजों की पूजा और ‘दूसरी दुनिया’ में यकीन रखते हैं. घाना में बाहर से आए धर्मों में हिंदू धर्म सबसे नया है, जिसकी जड़ें यहां बसने वाले सिंधी व्यापारियों से जुड़ी हैं. अप्रवासी भारतीयों में इन्हीं सिंधी व्यापारियों का दबदबा है.

अफ्रीकी हिंदू अनुयायियों को अपने परंपरागत अफ्रीकी नाम रखने की पूरी आजादी है. मगर यहां पर कई ऐसे अनुयायी भी हैं जिन्होंने अपने बच्चों को राम और कृष्ण जैसे परंपरागत हिंदू नाम दिए हुए हैं
पहली बार जब मैंने यहां अफ्रीकी हिंदू समुदाय की मौजूदगी के बारे में सुना तो ये मेरे लिए चौंकाने वाली बात थी. मैंने तय किया कि मैं खुद उस जगह जाकर देखूंगी कि आखिर अफ्रीकी हिंदू समुदाय है कहां और कैसा है?

इस समुदाय की तलाश मुझे घाना की राजधानी अक्रा के उपनगरीय इलाके ऑडोरकोर ले गई. यहीं एक सफेद रंग का भवन, अफ्रीकी हिंदू मठ (एएचएम) स्थित है. मठ के प्रमुख स्वामी घनानंद सरस्वती ने 1975 में इसकी स्थापना की थी. कोमल आवाज वाले स्वामी घनानंद का जन्म एक ठेठ अफ्रीकी परिवार में हुआ था. उनके जन्म के बाद मां-बाप ने ईसाई धर्म अपना लिया. घनानंद भी ईसाई बन गए लेकिन, उनके खुद के मुताबिक, उन्होंने अपनी सत्य की खोज जारी रखी. इस बीच हिंदू मान्यताओं का आकर्षण उन्हें भारत ले आया. यहां वे देश भर में घूमे और योग सीखा. वे हिंदू धर्म से इतना प्रभावित हुए कि ऋषिकेश में स्वामी शिवानंद के आश्रम में रहते हुए उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया लिया. 35 साल की उम्र में वे वापस घाना आ गए और जल्द ही घाना वासियों को इस प्राचीन पूर्वी धर्म की शिक्षाओं पर व्याख्यान देने लगे. शुरुआत में उनके व्याख्यानों की तरफ कुछ ज्यादा पढ़े लिखे लोग, जैसे वकील और विश्वविद्यालय के अध्यापक आदि अफ्रीकी मूल के लोग ही आकर्षित हुए, लेकिन जल्द ही उन्हें सुनने भारतीय परिवार भी आने लगे. घाना में हिंदू मठ खोलने की प्रेरणा उन्हें स्वामी कृष्णानंद से मिली जो उस समय भारत से घाना की यात्रा पर थे. कृष्णानंद का कहना थी कि मठ में वे लोगों को वो सब कुछ बता सकते हैं जो उन्होंने भारत में सीखा था.




स्वामी घनानंद

आज घाना में तकरीबन 12,500 हिंदू हैं जिनमें से लगभग 10 हजार घनानंद सरस्वती की तरह अफ्रीकी मूल के हैं. हालांकि राजधानी अक्रा में इस समय एक सिंधी और एक सत्य साईं मंदिर है और यहां आनंदमार्गी, इस्कॉन और ब्रह्मकुमारी जैसे हिंदू धार्मिक संगठन भी सक्रिय हैं लेकिन हिंदू धर्म का यहां का सबसे बड़ा उपासना स्थल एएचएम ही है. इस मठ की गतिविधियों में आपको मिश्रित संस्कृति की झलक बड़ी आसानी से देखने को मिल सकती है. मठ के पूजाघर में हिंदू देवी-देवताओं के साथ ईसा की तस्वीर भी लगी हुई है, इसके अलावा दूसरे धर्मो के धार्मिक नेताओं की तस्वीरें भी यहां आपको देखने को मिल जाएंगी. भारत के कुछ धर्म निरपेक्ष नेताओं की तस्वीरें भी यहां पर हैं.
मठ के अनुयायी मानते हैं कि परमसत्ता को यावे (यहूदियों के आराध्य) और अल्लाह जैसे दूसरे नामों से भी जाना जाता है. मुख्य रूप से वैदिक दर्शन को मानने वाले इस मठ के मुख्य देवता विष्णु हैं लेकिन यहां एक शिवमंदिर भी है और दिन की शुरुआत शिवजी के अभिषेक से होती है. इसके बाद आरती होती है. आरती स्वामी घनानंद या उनका कोई शिष्य कराता है. इसके बाद हवन होता है फिर हनुमान चालीसा. अधिकांश भारतीय मंदिरों के उलट हवन में यहां उपस्थित हर व्यक्ति आहुति दे सकता है. हवन के बाद भजन होते जो ज्यादातर हिंदी में ही होते हैं मगर इनमें स्थानीय भाषा का पुट इन्हें असल भजनों से काफी अलग सा बना देता है. सबसे आखिर में वेदों पर चर्चा होती है. यह चर्चा अंग्रेजी या स्थानीय भाषा में होती है.

इस मठ की सबसे बड़ी खूबी ये है कि ये अपने भीतर न केवल कई धार्मिक परंपराओं को समोए हुए है बल्कि हर नस्ल, समुदाय और धर्म का व्यक्ति यहां बेरोकटोक आ सकता है. यहां के धार्मिक आयोजनों में सिंधी ही नहीं बल्कि हाल ही में घाना आए अप्रवासी भारतीय जिनमें प्रबंधकों से लेकर मजदूरों तक की जमात शामिल होती है. लेकिन मठ आने वालों में सबसे ज्यादा संख्या अफ्रीका के मूल निवासियों की ही है. इनमें भी अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं. जब मैंने मठ के एक अनुयायी से हिंदूओं में पाई जाने वाली वर्णव्यवस्था पर उसकी राय जाननी चाही तो उसका कहना था कि दुनिया में ऐसा कोई समाज नहीं है जिसमें लोगों से भेदभाव न किया जाता हो, फिर चाहे इसका आधार व्यवसाय हो, जन्म-संबंधी हो या फिर नस्ल को लेकर हो. लेकिन घाना में उसके जैसे हिंदुओं का साफतौर पर मानना है कि हर इंसान को शिक्षा, बेहतर जिंदगी और खासतौर पर अपने धर्म को मानने का अधिकार है.

समन्वयवादी और उदार विचारधारा को मानने वाले इस मठ में सिर्फ एक ही व्यक्ति सन्यासी है. इसके बार में घनानंद कहते हैं, ‘यहां हिंदू धर्म एक नई चीज है और मैं नहीं चाहता कि किसी को दीक्षा दी जाए और वो बाद में सन्यास के रास्ते से हट जाए. इससे हिंदू धर्म बदनाम होगा.’ हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले जो लोग अनुयायी बनना चाहते हैं उन्हें यहां छह सप्ताह रह कर एक कोर्स करना पड़ता है. इसके बाद धीरे-धीरे हिंदू धर्म में दीक्षित किये जाने की प्रक्रिया शुरू होती है.

उदाहरण के तौर पर अफ्रीकी हिंदू अनुयायियों को अपने परंपरागत अफ्रीकी नाम रखने की पूरी आजादी है. मगर यहां पर कई ऐसे अनुयायी भी हैं जिन्होंने अपने बच्चों को राम और कृष्ण जैसे परंपरागत हिंदू नाम दिए हुए हैं, ये भी खास बात है कि ये नाम हिंदू रीति से नामकरण संस्कार के बाद रखे गए हैं. शादियों और अंतिम संस्कार में भी ये लोग हिंदू रीतियों का पालन करते हैं हालांकि ऐसा करना अनिवार्य नहीं है. मठ के हिसाब से हर हिंदू अनुयायी को अपने घर में पूजा और प्रार्थना करनी चाहिए. कभी-कभी उत्साह के अतिरेक में नए अनुयायी इस तरह समर्पित होकर धार्मिक क्रियाएं करते हैं कि लगने लगता है कि ये लोग सिर्फ अभिनय तो नहीं कर रहे. मगर आस्था को लेकर इस तरह के क्रियाकलाप हमारे देश में भी होते हैं, होते रहेंगे. क्योंकि आस्था से जुड़ी हर चीज को समझ पाना शायद संभव ही नहीं है.

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम के सूर्य कुम्भ पर्व में बुधवार को श्रीराम-जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के पक्ष में एक प्रस्ताव पारित किया गया है।

सूरीनाम कुम्भ में राम-मंदिर निर्माण के लिए प्रस्ताव पारित
सूरीनाम कुम्भ में राम-मंदिर निर्माण के लिए प्रस्ताव पारित

पारामारिबो। दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम के सूर्य कुम्भ पर्व में बुधवार को श्रीराम-जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के पक्ष में एक प्रस्ताव पारित किया गया है। यह प्रस्ताव कई देशों के करीब तीन हजार श्रद्धालुओं की उपस्थिति में ध्वनिमत से पारित हुआ।

प्रस्ताव में कहा गया है- “भगवान श्रीराम पूरी दुनिया के हिंदुओं के आराध्य हैं। उनकी जन्म-स्थली हमारे लिए पूज्य है। इसलिए भारत सरकार को चाहिए कि वह जन्मभूमि को सम्मानपूर्वक हिंदुओं को सौंप दे तथा इसके पक्ष में संसद में एक कानून भी बनाए, ताकि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सके।”

इस दौरान वैरागी अखाड़ा के संत स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद उपाख्य स्वामी ब्रह्मदेव ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व में सुख-शांति के लिए हिन्दू एकता जरुरी है। कार्यक्रम के अंत में पंडित शंकर उपाध्याय ने उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

उल्लेखनीय है कि सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो स्थित सूरीनाम नदी के तट पर पिछले 14 जनवरी से सूर्य कुंभ पर्व का आयोजन किया गया है, जिसका उद्घघाटन वहां के राष्ट्रपति देसी बोतरस ने किया था। इसका समापन 18 फरवरी को होगा। इसमें भारत सहित कई देश के हिंदुओं को भी आमंत्रित किया गया है।

इस दौरान मुख्य रूप से कुम्भ आयोजन समिति के अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद रूदी रामधनी, डॉ. देवा सारमान, पंडित शंकर उपाध्याय, पंडित कपूर, पंडित वीरेन अर्जुन शर्मा, श्रीमती गायत्री रामभजन जग्गू, अनूप रामदीन, जीत जिबोधा, शिवदयाल, रोबी पलटन तेवारी और हंस रामचरण उपस्थित थे

बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

'कुंभ पर्व से मिलेगी सुख व शांति'


'कुंभ पर्व से मिलेगी सुख व शांति'
पारामारिबो। सूरीनाम में आयोजित “सूर्य कुंभ पर्व” के एक कार्यक्रम में देश के लोक निर्माण मंत्री श्री रामवन अब्राहम ने कहा- “यह पर्व देश में सुख, शांति, समता और संस्कार का निर्माण करेगी। मुझे विश्वास है कि देश की शुख शांति के लिए कुंभ मेले में होने वाली प्रार्थना परमेश्वर स्वीकार करेंगे।”विदित हो कि देश की राजधानी परामारिबो स्थित सूरीनाम नदी के गोवर्धन घाट पर इस मेले का आयोजन किया गया है। मकर संक्रांति से शुरू होकर 18 फरवरी तक चलने वाले इस मेले का उद्घाटन सूरीनाम के राष्ट्रपति देसी बोतरस ने 15 जनवरी को किया था। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय संत स्वामी ब्रह्म वैरागी जी महाराज ने कहा कि भगवान राम ने पूरे जीवन भर समाज को जोड़ने का ही कार्य किया। आज यही कार्य सूर्य कुंभ के द्वारा हो रहा है। स्वामी जी कुंभ परिसर में राम कथा भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए राम कथा से बड़ा कोई साधन नहीं है। कार्यक्रम में नीदरलैंड सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष आचार्य शंकर ने मकर संक्रांति के महत्व पर प्रकाश डाला। त्रिनिदाद से आई हुईं सुश्री अनंदा ने विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल के संदेश का वाचन किया। “सूर्य कुंभ पर्व आयोजन समिति” के अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद रूदी रामधनी ने दूरभाष पर "विश्व हिंदू वॉयस" को बताया कि मकर संक्रांति के दिन लाखों श्रद्धालु कुंभ परिसर में सुबह 5 बजे से ही स्नान के लिए पहुंचने लगे थे जो रात 7 बजे तक जारी रहा। उन्होंने बताया कि स्नान के बाद आचार्य शंकर ने रूद्र-अभिषेक कराया। इसमें श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता था।

विश्व शांति हेतु सूरीनाम में सूर्य कुंभ का आयोजन



विश्व शांति हेतु सूरीनाम में सूर्य कुंभ का आयोजन
दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम में 14 जनवरी से सूर्य कुंभ पर्व का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्घाटन वहां के राष्ट्रपति श्री देसी बोतरस करेंगे। देश की राजधानी पारामारीबो में सूरीनाम नदी के तट पर आयोजित होने वाले इस कुंभ मेले का समापन 18 फरवरी को होगा। देश के इतिहास में इस प्रकार के मेले का आयोजन पहली बार हो रहा है। इसको लेकर सूरीनाम के अलावा त्रिनिडाड, अमेरिका, नार्वे, फ्लोरिडा, नीदरलैंड; आदि देशों के हिंदुओं में काफी उत्साह है। इस पर्व में भारत और सूरीनाम सहित दुनिया के सैंकड़ो विद्वान हिस्सा लेंगे। इस संदर्भ में “विश्व हिंदू वॉयस” न्यूज वेब-पोर्टल से जुड़े पवन कुमार अरविंद ने नई दिल्ली से दूरभाष पर सूरीनाम में “सूर्य कुंभ पर्व आयोजन समिति” के अध्यक्ष श्री महेंद्र प्रसाद रूदी रामधनी से बातचीत की है। प्रस्तुत है अंश- Que।

कुम्भ पर्व के आयोजन की प्रेरणा आपको कहां से मिली?Ans।

इसकी प्रेरणा मुझे आचार्य शंकर से मिली। आचार्य जी सूरीनाम के कारीगांव के निवासी हैं। वह हालैंड व सूरीनाम में सनातन धर्मसभा के अध्यक्ष हैं। उन्होंने ही मुझे इस कार्य के लिए प्रेरित किया। समय-समय पर उनसे आवश्यक सुझाव भी मुझे मिलता रहता है।

Que. इसके आयोजन का स्वरूप क्या है? Ans।

इस आयोजन में सभी लोगों का हार्दिक स्वागत है। हमें उम्मीद है कि इसमें सूरीनाम के बाहर के लोग भी भारी संख्या में हिस्सा लेंगे। सूरीनाम व भारत के अलावा त्रिनिडाड, अमेरिका, नार्वे, गुयाना, फ्लोरिडा, नीदरलैंड समेत दुनिया के कई देशों के विद्वानों को भी आमंत्रित किया गया है, जो विश्व में सुख-शांति की स्थापना और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार सहित कई गंभीर विषयों पर चिंतन-मंथन करेंगे। पर्व के दौरान सूरीनाम के सभी मंदिरों से कलश पूजन करके कुंभ परिसर में लाया जाएगा। कलश पूजन में हिस्सा लेने वाले लोग कुंभ के दौरान भजन-कीर्तन भी करेंगे, ऐसी योजना बनाई गई है। इस दौरान श्रद्धालु वैरागी अखाड़ा के भारतीय संत स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद जी महाराज के प्रवचन का आनंद भी उठा सकते हैं। वे पिछले कई वर्षों से विदेशों में रामकथा व भागवतकथा के माध्यम से भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रचार-प्रसार के कार्य में सक्रिय

Que। कुंभ मेला भारत में लगता है, फिर सूरीनाम में आप क्यों आयोजित कर रहे हैं?

Ans। हम लोग भारतीय मूल के हैं। हमारे पूर्वज आज से करीब 170 वर्ष पूर्व गिरमिटिया मजदूर के रूप में सूरीनाम और त्रिनिडाड; आदि देशों में आए थे। भारतीय मूल का होने के कारण वहां की संस्कृति और सभ्यता से गहरा जुड़ाव है। सूरीनाम की जनसंख्या करीब पांच लाख है, जिसमें करीब 38 प्रतिशत हिंदू हैं। भारत में जो कुंभ लगता है उसका बहुत बड़ा महत्व है। उसके आयोजन का महात्म्य समुद्र मंथन से जुड़ा है। भारत में हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में हर बारहवें एवं छठवें वर्ष क्रमशः कुंभ व अर्द्धकुंभ मेले का आयोजन होता है। इन आयोजनों में विश्व भर के लाखों लोग हिस्सा लेते हैं। इसके अलावा ऐसे भी लोग हैं जिनको आर्थिक कारणों से भारत पंहुचना संभव नहीं हो पाता। उनके लिए इसके विकल्प के तौर पर सूरीनाम में कुम्भ मेले का आयोजन किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि यह आयोजन उन सभी प्रवासी भारतीयों के लिए एक वरदान साबित होगा, जो भारत पंहुच कर माघ स्नान का पुण्य नहीं प्राप्त कर सकते।
Que. इसके आयोजन का क्या उद्देश्य है?

Ans। सूरीनाम में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार ही इस आयोजन का उद्देश्य है। इसके अलावा सनातन धर्म को मानने वाले दुनिया के सभी साधु-संत और विद्वान एक जगह एकत्रित होकर विश्व के लिए सुख शांति का मार्ग खोज सकें, भी उद्देश्य है। इसके आयोजन के लिए ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती समेत कई संतों ने शुभकामनाएं दी हैं।

Que. विश्व शांति में भारतीय संस्कृति और सभ्यता का क्या योगदान है?

Ans। मेरे विचार से भारतीय संस्कृति और सभ्यता को ही सनातन धर्म कहा जाता है। दुनिया में इसके प्रचार का उद्देश्य सभी मत, पंथ और सम्प्रदाय के लोगों में एकता स्थापित करना है। मुझे यह विश्वास है कि सनातन धर्म सत्य पर आधारित है और सत्य की स्थापना से ही विश्व में शांति की स्थापना हो सकेगी।

Que। अपने बारे में कुछ बताइए?Ans।

मेरी पैदाइश और शिक्षा-दीक्षा सूरीनाम में हुई। शिक्षा के बाद मैंने व्यापार शुरू किया। ईश्वर की कृपा से मेरा व्यवसाय ठीक चल रहा है। समाजिक कार्यों को करने से मानसिक शांति की अनुभूति होती है। इसलिए जब तक शरीर में सांस है, करते रहने का प्रयास करता रहूंगा।