शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

'न बिजली है न पानी, फिर भी दिल है पाकिस्तानी।'

नई दिल्ली। अपनी जिद और धर्म को आधार बनाकर मुहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान तो बना लिया, लेकिन समय न मिल पाने के कारण अपने मुल्क को कोई दिशा नहीं दे सके। व्यक्तिगत जीवन में हमेशा धर्मनिरपेक्ष रहे जिन्ना का पाकिस्तान हमेशा भारत विरोध और चरमपंथी विचारधारा से शासित होता रहा। और आजादी मिलने के छह दशक बाद भी इसका खामियाजा पाकिस्तान की जनता भुगतने को अभिशप्त है।

दुनिया के मानचित्र पर पाकिस्तान को आए 62 साल हो चुके हैं। लेकिन वहां की जनता जम्हूरियत और नागरिक स्वतंत्रता के अधिकारों से आज भी कोसों दूर है। राजनैतिक अस्थिरता, सैन्य शासन और कंट्टरपंथियों के दबदबे से पाकिस्तान कभी वह पाकिस्तान बन ही नहीं सका, जिसका सपना कायदे आजम मुहम्मद अली जिन्ना ने की थी। लोगों को आज भी इस बात का रंज है कि पाकिस्तानी नेता जिन्ना के स्वप्न को साकार कर ही नहीं सके। स्वतंत्रता दिवस पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और इसका लोगों ने अलग-अलग ढंग से इजहार भी किया।

एक ब्लाग में लिखा है, 'हमें खेद है जनाब जिन्ना, कि हम आपके नजरिए को हकीकत में तब्दील नहीं कर पा रहे।' अमेरिकी शिक्षाविद आदिल नजम के इस संदेश में 11 अगस्त 1947 को दिए जिन्ना के भाषण के अंश भी हैं। इसमें जिन्ना ने कहा था कि हर व्यक्ति की अपनी आस्था होती है। इस लिहाज से हिंदू, हिंदू और मुसलमान, मुसलमान ही रहेगा। लेकिन समय बीतने के साथ राजनीति रूप से वे पाकिस्तान के नागरिक कहा जाएगा। हाल ही में पंजाब के गोजरा क्षेत्र में हुई सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 8 ईसाई मार दिए गए और 50 घर जला दिए गए थे।

नजम के मुताबिक 'जिन्ना के सहिष्णु पाकिस्तान के सपने को घिसा-पिटा बताकर उनके दृष्टिकोण को नजरअंदाज कर दिया गया। हमें गोजरा के लिए अफसोस है जिन्ना साहब। और यह हर दिन पाकिस्तान में होता है।

वहीं अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी की 14 वर्षीय बेटी मीरा हुसैन हक्कानी ने 'अल्लाह के नाम खत' लिखा है। अखबार 'द न्यूज' में प्रकाशित इस पत्र में मीरा लिखती हैं, 'आजादी मिलने के 62 साल बाद भी पाकिस्तान खौफजदा है। भले ही उसके पास काफी जमीन है। लेकिन वह तबाह हो चुका है। उसके पर्वत कमजोर और बेसहारा हैं। गोलियों तथा बम धमाकों के कारण कभी खूबसूरत रही इसकी वादियां खाक में मिल चुकी हैं। उसके बच्चे भूखे हैं और आंसू बहा रहे हैं। यही पाकिस्तान है।'

चर्चित फिल्म 'खुदा के लिए' के लिए मुख्य अभिनेता शान कहते हैं कि उनके पास जश्न मनाने का कोई कारण नहीं है। कुछ भी ऐसा नहीं है जिसपर नाज किया जा सके।' जैसा कि गायक अली जफर कहते हैं, 'न बिजली है न पानी, फिर भी दिल है पाकिस्तानी।'

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