सोमवार, 17 अगस्त 2009

हवन से स्वाहा होतीं हैं बीमारियां



लखनऊ। वैदिक काल से ही हवन को महत्वपूर्ण माना गया है। यही वजह है कि तमाम धार्मिक विद्वान पूजा में थोड़ा ही सही पर रोज हवन करने की सलाह देते रहे हैं। बढ़ रहे प्रदूषण से निजात पाने के लिए वैज्ञानिकों ने भी अपने शोध को हवन पर केंद्रित किया और अच्छे नतीजे पाए। ऐसे ही एक शोध का निष्कर्ष है कि अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं और अपने घर को जीवाणु मुक्त रखना चाहते हैं तो प्रतिदिन हवन कीजिए।

लखनऊ स्थित राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान [एनबीआरआई] के वरिष्ठ वैज्ञानिक चंद्रशेखर नौटियाल द्वारा किया गया यह शोध कार्य अन्तरराष्ट्रीय पत्रिका सन डायरेक्ट ने प्रकाशित किया है। इसमें कहा गया है कि हवन के दौरान अग्नि से निकलने वाला धुआं वातावरण को शुद्ध करता है। ये धुआं हवा में पाए जाने वाले जीवाणुओं को नष्ट करने के साथ ही बीमारियों की आशंकाओं को भी कम करता है।

नौटियाल के मुताबिक लकड़ी और औषधीय जड़ी बूटियां जिनको आम भाषा में 'हवन सामग्री' कहते हैं, को एक साथ जलाने से वातावरण मे जहां शुद्धता आती है वहीं 94 प्रतिशत तक रोगजनक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।

ऋगवेद में भी बताया गया है कि प्राचीन काल में साधु-संत वातावरण की शुद्धि के लिए यज्ञ किया करते थे। यह बात अब वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह सच साबित हो चुकी है। इस तथ्य की पुष्टि के लिए एनबीआरआई के वैज्ञानिकों की टीम ने एक बंद कमरे में हवन करके यह प्रयोग किया। इस प्रयोग में पांच दर्जन से ज्यादा जड़ी बूटियों के मिश्रण से तैयार हवन सामग्री का इस्तेमाल किया गया।

नौटियाल ने कहा कि उन्होंने हवन के बाद और हवन के पहले के नमूने लिए। जिनका अध्ययन करने पर यह साबित हो गया कि हवन से हानिकारक जीवाणु नष्ट होने के साथ ही वातावरण भी शुद्ध होता है। प्रयोग के बाद यह भी पता लगा कि लकड़ी को अकेले जलाने पर जीवाणुओं की मात्रा में कोई कमी नहीं आई। लकड़ी को जड़ी बूटियों के साथ [हवन सामग्री] जलाने पर ही यह प्रयोग कारगर साबित हुआ। प्रयोग के 30 दिन बाद तक कमरे में धुएं का असर दिखाई दिया और जीवाणुओं की मात्रा अपेक्षाकृत कम पाई गई।

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