बुधवार, 8 जुलाई 2009

माँ

त्याग है, तपस्या है, सेवा है,माँ, माँ फूँक से ठँडा किया हुआ कलेवा है,माँ, माँ अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है,माँ, माँ जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन है,माँ, माँ चूडी वाले हाथों के मजबूत कंधों का नाम है,माँ, माँ काशी है, काबा है और चारों धाम है,माँ, माँ चिंता है, याद है, हिचकी है,माँ, माँ बच्चे की चोट पर सिसकी है,माँ, माँ चुल्हा-धुँआ-रोटी और हाथों का छाला है,माँ, माँ ज़िंदगी की कड़वाहट में अमृत का प्याला है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें