रविवार, 21 नवंबर 2010

कांग्रेस एक आंतकवादी पार्टी

कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पिछले दिनों से भगवा आतंकवाद पर अनर्गल दुष्प्रचार करना शुरू किया हुआ था परन्तु जब यह उल्टा पडने लगा तो अब ये सोनिया जी की रहनुमाई में हिंदू संगठनों का सीधे नाम लेकर अपने अधूरे रह गये एजेंडे को पूरा करने का षडयन्त्र कर रहे हैं। मालेगांव मामले में कुछ हिन्दू सन्तों और अन्यों को पकड कर इनको अपनी कहानी की पटकथा को पूरा करने मौका मिल गया और ऐसी सब घटनाओं, जिसमें एक भी मुसलमान मरा था , के तार अब वे इनके साथ जोडने के प्रयास कर रहे हैं। इस षडयन्त्र में वे सी०बी० आई० से लेकर प्रांतीय सुरक्षा बलों का खुल कर दुरुपयोग कर रहे हैं और सैक्युलर मीडिया इनका खुल कर साथ दे रहा है। मालेगांव से शुरु करके हैदराबाद,समझौता ऐक्स० और अब अजमेर विस्फोट तक इन सब घटनाओं में हिंदू संगठनों का नाम घसीटा जा रहा है। अधिकांश घटनाओं के अपराधी पकडे जा चुके थे। उनके संबंध हूजी या लश्कर के साथ थे। अब वे हिंदू नेताओं के नाम ले रहे हैं। इस कोशिश में ये न केवल पूरी दूनिया में अपने देश को बदनाम कर रहे हैं अपितु आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लडाई को कमजोर करने का महापाप कर रहे हैं। यह आश्चर्य है कि इन्होने कश्मीर में आये भूकम्प, जिसमें कई मुसलमान मरे थे, में अभी तक संघ का नाम क्यों नहीं लिया। पहले ऐसे हिंदु संगठनों का नाम लिया गया जिनको कोइ नहीं जानता था। जब इनके घटिया इरादे पूरे होते नहीं दिखे तो अब ये सीधे-सीधे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम लेने का दुःसाहस करने लगे हैं। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी से शुरू किया गया यह हमला अब उनकी माताश्री ने आगे बढा दिया और उनके चरणचुम्बन करने वाले नेताओं ने इस पर मर्यादाहीन बयानबाजी शुरू कर दी। ऐसे कारनामे ये पहले भी कर चुके हैं। जवाहर लाल नेहरु से लेकर इन्दिरा गांधी तक इस आग में ये अपने हाथ जला चुके हैं। परंतु हर बार इनको शर्मिंदगी झेलनी पडी है। इनको इतिहास से सबक लेना चाहिये था। परंतु ऐसा लगता है कि इस बार भी ये मूंह की खाकर ही मानेंगे ।

बिहार के चुनाव चल रहे हैं और उत्तरप्रदेश के चुनाव नजदीक हैं। इन दोनों जगह मुस्लिम वोटों का महत्व सबको समझ में आता है। हिंदू संगठनों का नाम बदनाम कर मुस्लिम वोटों को रिझाया जा सकता है, यह कांग्रेस की हमेशा से चाल रही है। इस समय भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी कांग्रेस को कामनवैल्थ और आदर्श सोसाइटी के घोटालों से अपना दामन छुडाना मुश्किल दिखाइ दे रहा हैं । देश की जनता का ध्यान इस ओर से हटाने के लिये ये लोग हिंदु आतंकवाद का हौव्वा खडा करने का षडयन्त्र कर रहे हैं। परन्तु वे इस षडयन्त्र में सफल नहीं हो पायेंगे। अभी तक किसी व्यक्ति या संगठन के विरूद्ध कोइ सबूत नहीं है। कई साल पुराने मामलों में भी चार्जशीट तक नहीं पेश कर सके हैं। एक-दो व्यक्तियों को पकडने से पूरे संगठन को कैसे बदनाम कर सकते हैं? इस आधार पर यदि विचार करेंगे तो कांग्रेस पार्टी सबसे बडी आतंकी और भ्रष्ट पार्टी है जिसमें ये सब काम कांग्रेस अध्यक्ष के इशारे पर किये जाते हैं। यदि इन सब अपराधों की सूची बनायी गयी तो समस्त कांग्रेस अध्यक्ष विश्व के सबसे बडे अपराधी और आतंकवादी सिद्ध हो जायेंगे। ऐसे अपराधों की सूची बहुत बडी है। कई अपराध तो बडे नेताओं ने ही किये हैं। इनमे से कई सिद्ध भी हो चुके हैं। इन सबके नाम एक ब्लाग में लिखना असंभव है। फिर भी कुछ घटनाओं के वर्णन से ही स्पष्ट हो जायेगा कि कांग्रेस ही देश की सबसे बडी आतंकवादी पार्टी है और आतंकवाद को यदि मिटाना है तो सबसे पहले इसकी जननी कांग्रेस पर प्रतिबंध लगाना पडेगा।

कोयम्बतूर विस्फोट के प्रमुख अपराधी मदनी के साथ इनके संबंध बहुत पुराने हैं। इन्होंने कम्युनिष्ट पार्टी के साथ मिलकर न केवल जेल से छुडाया था अपितु जब कर्नाटक की पुलिस एक अन्य मामले में पकड्ने गई तो उनके काम में रोडे अटकाये थे। इशरत के मामले में इन्होनें उसको निरपराध सिद्ध करने के भरसक प्रयास किये जबकि लश्कर की वैबसाईट पर उसको लश्कर का आतंकी लिखा गया है जिसको नरेन्द्र मोदी को मारने का काम दिया गया था। बटला हाउस मुठ्भेड के बाद बटला हाउस तो मानो कांग्रेसियों के लिये काबा बन गया था जहां कई नेता सजदा करने जाते रहते थे। इन आतंकियों के प्रणेता आजमगढ में रहते थे। उनको बचाने की कोशिश में दिग्विजय् सिंह से लेकर छोटे बडे सभी नेता लगे लगे रहते थे। सिंमी जैसे दुर्दांत आतंकी संगठन के बचाव के लिये कांग्रेसियों ने जो कारनामे किये हैं, वे केवल उनके साथी ही कर सकते हैं। प्रतिबंध के खिलाफ उनकी लडाई लडने में इनका योगदान इनके संबंधों को बताने के लिये पर्याप्त है। उनके वकील के रूप प्रसिद्ध कांग्रसी नेता सलमान खुर्शीद ने दिन रात एक कर दिये थे। संसद में सोनिया जी ने सिंमी के पक्ष में लडाई की अगुवाइ की तो संसद के बाहर कांग्रेसियों ने धरने -प्रदर्शन कर उनके साथ अपनी निष्ठा को प्रदर्शित किया।मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की छत्र छाया में सिमी का किस प्रकार विस्तार हुआ यह इनके संबंधों की गहराई को बताने के लिये काफी है। २००१ में उल्फा के साथ इन्होंने इनके साथ गठबंधन किया था और २००४ में नक्सलवादियों का सहयोग लेकर सरकार बनाने में इन्होंने कोइ संकोच नहीं किया था। आतंकी संगठनों के साथ इनके संबंधों और सहयोग की सूची बहुत बडी है परन्तु ये उदाहरण कांग्रेस का चरित्र बताने के लिये पर्याप्त हैं।

संबंध और सहयोग ही नहीं, इनकी आतंकी घटनाओं में प्रत्यक्ष सहभागिता के भी हजारों उदाहरण स्वतंत्र भारत के इतिहास में बिखरे पडे हैं। १९९३ में सूरत बम्ब विस्फोट भारत के लोग भूल नहीं सकते। इस घटना के प्रमुख अपराधी मौहम्मद सूरती को २० साल की सजा २००८ में सुनाई गई । सूरती साहब कांग्रेस सरकार मॅं मन्त्री रह चुके हैं। इनके साथ जिन अन्य १५ अपराधियों को सजा सुनाइ गई है वे भी कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे हैं। गोधरा में मासूम हिंदुओं को जलाने मॅ जिन अपराधियों के नाम प्रमुखता से लिये गये उनके नाम ५ मार्च के इंडियन एक्स० में छपे हैं। महमूद हूसैन कलोटा गोधरा कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ट के अध्यक्ष रहे हैं। सलीम अब्दुल गफ्फार शेख पंचमहल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं। अब्दुल रहमान, फार्रुख माना, हाजी बिल्लाल आदि सब प्रमुख कांग्रेसी नेता रहे हैं। केवल यही नहीं , अगर गोधरा के बाद की प्रतिक्रिया को आतंकी घटना माना जाये तो इसमें भी कम से कम २५ कांग्रेसी नेताओं के नाम लिये जा रहे हैं।

३००० सिक्खों के कत्ले आम को कभी नहीं भुलाया जा सकता। इस नरसंहार के लिये केवल कांग्रेसी नेता ही कसूरवार हैं। मुसोलिनी की फासिस्ट परम्परा में पली सोनिया जी को देश की जनता का शुक्रगुजार होना चाहिये कि उन्होंने इस घटना में राजीव जी भूमिका की जांच के लिये नहीं कहा क्योंकि भारत में दिवंगत व्यक्ति को माफ कर दिया जाता है। गांधी जी की दुर्भाग्यजनक हत्या के बाद संघ के कार्यकर्ताओं और संघ कार्यालयों पर जिस प्रकार से कांग्रेसियों ने हमले किये थे, वे किसी भी तरह से सिक्खों पर हमले से कम नहीं थे । बाद में नेहरू जी द्वारा स्थापित कमीशन ने यह सिद्ध कर दिया था कि गांधी हत्याकांड में संघ का कोइ हाथ नहीं था। यह बात अलग है कि नेहरू जी ने अपनी गलती का परिमार्जन संघ को १९६३ की गणतंत्र दिवस की परेड में निमंत्रित करके किया था। 1977 में आपात काल की अपराधी इन्दिरा जी की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेसियों ने संपूर्ण देश में हिंसा का जो तांडव किया था वह उनके आतंकी चरित्र को ही उजागर करता है। दो कांग्रेसी नेताओं,देवेन्द्र पांडे और भोला पांडे ने लखनऊ से हवाई जहाज का अपहरण किया था। इनमें से एक को बाद में कांग्रेस ने विधायक बनाकर पुरस्कार दिया था। उस समय देश भर में हिंसक प्रदर्शन किये गये व सरकारी सम्पत्ती को नुकसान पहुंचाया गया। उडीसा में स्वामी लक्षमणानंद जी की हत्या का मुख्य आरोपी राधाकांत नायक कांग्रेस का ही सांसद है। इस जघंय हत्याकांड मॅं और भी कई कान्ग्रेसियों के नाम लिये जा रहे हैं। क्या ये घटनाएं कांग्रेस के आतंकी चरित्र को बताने के लिये पर्याप्त नहीं हैं? यदि सोनिया जी के तर्क को स्वीकार किया जाये तो शायद इनका कोई भी अध्यक्ष और प्रधान मंत्री जीवन भर जेल से बाहर नहीं आ सकता था।

कुछ और भी उदाहरण देश के लोगों की आंखें खोलने में सहायता करेंगे। पंजाब की अंदरूनी राजनीति मॅ विरोधियों को परास्त करने के लिये भिंडरवाले को सहायता कर किसने पंजाब को आतंक वाद की आग में झोंका था? भारत में लिट्टे के प्रशिक्षण की व्यवस्था किस नेता ने कराई थी? शेख अब्दुल्ला का साथ देकर किस नेता ने काश्मीर को आतंकियों के हवाले किया था जिसका दुष्परिणाम देश आज भी भुगत रहा है? अपनी पत्नी के टुकडे करके तंदुर में जलाने वाला नेता किस पार्टी का था?

यदि उपरोक्त घटनाओं का ही विचार किया जाये तो यह सहज ही सिद्ध होता है कि कांग्रेस ही इस देश की सबसे बडी आतंकवादी पार्टी है और आज देश आतंकवाद की आग में कांग्रेस के कारण ही जल रहा है। सोनिया जी, अब भी जाग जाओ। अपनी गिरेबान में झांको। यदि आप देश को प्यार करने लगी हैं तो चंद वोटों की खातिर देशभक्त संगठनों पर कीचड ऊछालना बंद कर दो। उनको बदनाम करने की जगह ,उनका सहयोग लो और आतंकवाद से देश को मुक्ति दिलाओ।

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