मंगलवार, 2 नवंबर 2010

प्रचंड ने नेपाल को बर्बाद कर दिया प्रचंड भगावो नेपाल बचावो



नेपाल दुनिया का एकमात्र राष्ट्र जो कभी गुलाम न रहा आज कामरेडों की गुलामी से बर्बाद होता जारहा है । नेपाल की हालत ये होगई की उसके पास अपने मंत्रियो को तनखाह देने के लिए भी पेसे नहीं है । प्रचंड की नीतियों ने नेपाल को चीन का गुलाम बना रखा है प्रचंड अपनी मत्वा कक्षा पूरी करने के लिए चीन के हाथो खेलते जा रहे है ।।
बस एक ही उपाय है प्रचंड भगावो नेपाल बचावो

नेपाल में राजनैतिक हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। लगातार प्रयासों के बाद भी प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं हो पाया है। लेकिन समस्या सिर्फ इतनी ही नही है ।हिमालय की गोद में बसे इस देस की वित्तीय स्थिति भी खराब हो गयी है। नेपाल के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के कार्यालय ने यह ऐलान किया है कि उनके पास अब प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को तनख्वाह देने के लिए पैसे नहीं हैं। मध्य नवंबर में देने के लिए अब सरकारी खजाने में पैसा नहीं है। प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद के कार्यालय प्रमुख उमाकांत आचार्य के मुताबिक पिछले महीने हमने बड़ी मुश्किल से प्रधानमंत्री, मंत्रियों और उनके कर्मचारियों को बड़ी मुश्किल से तनख्वाह दी है।

माधव कुमार नेपाल की कैबिनेट में करीब 44 सदस्य हैं। सभी सदस्यों के करीब 6-7 सहयोगी हैं। प्रधानमंत्री, उनके कैबिनेट सहयोगी और उनके निजी 6-7 स्टाफ को सैलरी देने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय को करीब 80 हजार डॉलर (35 लाख रुपये) की जरूरत होती है।

नेपाली माओवादियों के सरकार विरोधी जोरदार प्रदर्शन के बीच बजट रोकने की धमकी के बाद माधव कुमार ‘नेपाल’ ने इसी साल 30 जून को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। ‘नेपाल’ के इस्तीफे के बाद कामचलाऊ सरकार ने सरकारी खर्च को पूरा करने के लिए 12 जुलाई को डेढ़ अरब डॉलर का आंशिक बजट पेश किया। यह खर्च चार महीने के लिए था। सरकार को उम्मीद थी कि नई सरकार मध्य नवंबर तक नया बजट पेश कर देगी। लेकिन तब से अब तक 14 बार की कोशिशों के बाद भी संसद में नए प्रधानमंत्री का चुनाव नहीं किया जा सका है।

इस हालात में वर्तमान सरकार क्या कदम उठाती है देखना दिलचस्प है । भारत ने भी वहां की राजनीतिक गतिरोध दूर करने के लिए कई बार प्रयास कर चुका है।चीन, नेपाल को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहता है । ऐसे में चीन उसके आर्थिक दिवालीएपन को भूनाने की कोशिश करेगा।

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