शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

श्रद्घा का श्राद्घपक्ष शुरू

पितरों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्घा व्यक्त करने का पर्व श्राद्घपक्ष शुक्रवार से शुरू हो रहा है। 5 सितंबर को पूर्णिमा के श्राद्घ के साथ शुरू हो रहे श्राद्घपक्ष 18 सितंबर तक चलेंगे। द्वादशी तिथि का क्षय होने के कारण इस बार श्राद्घपक्ष सोलह की बजाय पंद्रह दिन के होंगे। आश्विन माह के कृष्णपक्ष का पूरा पखवा़ड़ा श्राद्घपक्ष कहलाता है। इसमें भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा का दिन शामिल कर देने से यह सोलह दिनों का हो जाता है। ये दिन मृत परिजनों की संतुष्टि और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के होते हैं। इन दिनों में पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्घ और तर्पण करने से वे प्रसन्न होकर सुख, समृद्घि, इच्छित संतान और आरोग्यता प्रदान करते हैं। मार्कण्डेय पुराण में कहा गया है कि श्राद्घपक्ष में समस्त पितर धरती पर आकर अपने परिजनों के साथ रहते हैं। इसलिए इन दिनों में पितरों की संतुष्टि के लिए तर्पण आदि किए जाना चाहिए। पितरों के निमित्त श्रेष्ठ ब्राह्मणों को भोजन कराने, दान देने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है।

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