मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

विश्व शांति हेतु सूरीनाम में सूर्य-कुंभ का आयोजन


विश्व शांति हेतु सूरीनाम में सूर्य-कुंभ का आयोजन

पारामारिबो। दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम में 15 जनवरी से सूर्य-कुंभ पर्व का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्घाटन वहां के राष्ट्रपति श्री देसी बोतरस करेंगे। देश की राजधानी पारामारीबो में सूरीनाम नदी के तट पर आयोजित होने वाले इस कुंभ मेले का समापन 1 फरवरी को होगा। कुंभ पर्व में भारत और सूरीनाम सहित दुनिया के सैंकड़ों विद्वान हिस्सा लेंगे। देश के इतिहास में इस प्रकार के मेले का आयोजन दूसरी बार हो रहा है। इसको लेकर सूरीनाम के अलावा त्रिनिडाड, अमेरिका, नार्वे, फ्लोरिडा, नीदरलैंड; आदि देशों के हिंदुओं में काफी उत्साह है।

“सूर्य कुंभ पर्व आयोजन समिति” के अध्यक्ष श्री महेंद्र प्रसाद रूदी ‘रामधनी’ रामधनी का इस संदर्भ में कहना है कि इस कुम्भ पर्व के आयोजन की प्रेरणा हमें आचार्य शंकर से मिली। आचार्य जी सूरीनाम के कारीगांव के निवासी हैं। वह हालैंड एवं सूरीनाम में सनातन धर्मसभा के अध्यक्ष हैं। उन्होंने ही मुझे इस कार्य के लिए प्रेरित किया। समय-समय पर उनसे आवश्यक सुझाव भी मुझे मिलता रहता है।



श्री रूदी ने बताया कि इस वर्ष कुंभ पर्व में सूरीनाम एवं भारत के अलावा त्रिनिडाड, अमेरिका, नार्वे, गुयाना, फ्लोरिडा, नीदरलैंड समेत दुनिया के कई देशों के विद्वानों को आमंत्रित किया गया है, जो विश्व में सुख-शांति की स्थापना और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार सहित कई गंभीर विषयों पर चिंतन-मंथन करेंगे।

उन्होंने कहा कि पर्व के दौरान सूरीनाम के सभी मंदिरों से कलश पूजन करके कुंभ परिसर में लाया जाएगा। कलश पूजन में हिस्सा लेने वाले लोग कुंभ के दौरान भजन-कीर्तन भी करेंगे। इस दौरान श्रद्धालु वैरागी अखाड़ा के भारतीय संत स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद जी महाराज के प्रवचन का आनंद भी उठा सकते हैं। वे पिछले कई वर्षों से विदेशों में रामकथा व भागवतकथा के माध्यम से भारतीय संस्कृति और सभ्यता के प्रचार-प्रसार के कार्य में सक्रिय हैं।

कुंभ मेले के भारत से बाहर आयोजन के प्रश्न पर उनका कहना है-, “हम लोग भारतीय मूल के हैं। हमारे पूर्वज आज से करीब 170 वर्ष पूर्व गिरमिटिया मजदूर के रूप में सूरीनाम और त्रिनिडाड आदि देशों में आए थे। भारतीय मूल का होने के कारण वहां की संस्कृति और सभ्यता से गहरा जुड़ाव है। सूरीनाम की जनसंख्या करीब पांच लाख है, जिसमें करीब 38 प्रतिशत हिंदू हैं। भारत में जो कुंभ लगता है उसका बहुत बड़ा महत्व है। उसके आयोजन का महात्म्य समुद्र मंथन से जुड़ा है। भारत में हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में हर बारहवें एवं छठवें वर्ष क्रमशः कुंभ व अर्द्धकुंभ मेले का आयोजन होता है। इन आयोजनों में विश्व भर के लाखों लोग हिस्सा लेते हैं। इसके अलावा ऐसे भी लोग हैं जिनको आर्थिक कारणों से भारत पंहुचना संभव नहीं हो पाता। उनके लिए इसके विकल्प के तौर पर सूरीनाम में कुम्भ मेले का आयोजन किया जा रहा है। मुझे विश्वास है कि यह आयोजन उन सभी प्रवासी भारतीयों के लिए एक वरदान साबित होगा, जो भारत पंहुच कर माघ स्नान का पुण्य नहीं प्राप्त कर सकते।"


श्री रूदी ने कहा कि सूरीनाम में सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार ही इस कुंभ पर्व के आयोजन का प्रमुख उद्देश्य है। इसके अलावा सनातन धर्म को मानने वाले दुनिया के सभी साधु-संत और विद्वान एक जगह एकत्रित होकर विश्व के लिए सुख शांति का मार्ग खोज सकेंगे। विश्व शांति में भारतीय संस्कृति और सभ्यता के योगदान के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, “मेरे विचार से भारतीय संस्कृति और सभ्यता ही सनातन धर्म है। दुनिया में इसके प्रचार का उद्देश्य सभी मत, पंथ और सम्प्रदाय के लोगों में एकता स्थापित करना है। मुझे यह विश्वास है कि सनातन धर्म सत्य पर आधारित है और सत्य की स्थापना से ही विश्व में शांति की स्थापना हो सकेगी।"

इस दौरान उन्होंने बताया कि सुरीनाम में कुंभ पर्व के आयोजन के लिए ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती समेत कई संतों ने शुभकामनाएं दी हैं।

उल्लेखनीय हो कि सुरीनाम में सूर्य-कुंभ पर्व का प्रथम आयोजन इसी वर्ष (14 जनवरी से 18 फरवरी 2011) किया गया था। सुरीनाम कुम्भ के दौरान अयोध्या में श्रीराम-मंदिर निर्माण के लिए प्रस्ताव भी पारित किया गया था। प्रस्ताव में कहा गया था- “भगवान श्रीराम पूरी दुनिया के हिंदुओं के आराध्य हैं। उनकी जन्म-स्थली हमारे लिए पूज्य है। इसलिए भारत सरकार को चाहिए कि वह जन्मभूमि को सम्मानपूर्वक हिंदुओं को सौंप दे तथा इसके पक्ष में संसद में एक कानून भी बनाए, ताकि मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सके।”

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