शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

क्या बाबर मुस्लिम था ?


भारतीय राजनीती में बाबर तथा बाबरी मस्जिद का नाम लाखो बार सुनते सुनते आजिज हो गया था , मन में ये विचार बाबर उठता था की आखिर बाबर कौन था? प्राथमिक विद्द्याल्या में थोरा पढ़ा भी था लेकिन जानकारी पूरी नही थी ,हमारा यह पूरा विश्वास था कि बाबर एक पक्का मुसलमान था,मुसलमान होने के नाते वो ५ वक्ता की नमाज जरुर करता रह होगा शराब को हाथ भी नहीं लगता होगा , पर अचानक हमने कुछ ऐसा पढ़ा कि जिससे इस बाबर के चरित्र के कुछ और रंग सामने आये! और तब हमें लगा कि बाबर को मुसलमान कहना भी इस्लाम का अपमान है . तथा कथित वामपथी कलम जेहादी जिसको मुसलमान कहते नहीं थकते वो खुद आने को किस तरह से पेशा करता है जरा इनोसोचन चाहिए , तथ जोलोग येभी नहीं कटे थकते की बाबर ने मस्जिद बनायीं थी मंदिर नहीं तोरा था उन लोगो को एक बार बाबर नामा पढ़ना चाहिए , खुद बाबर के लिखे बाबरनामा से यह पता चलता है कि राम मंदिर तोड़कर उसके नाम पर बनाया गया ढांचा असल में मस्जिद ही नहीं था! ऐसा इसलिए क्योंकि बाबर खुद मुसलमान ही नहीं था! क्योंकि-
बाबर एक homo , नशेड़ी, शराबी था
बाबरनामा के विभिन्न पृष्ठों से लिए गए निम्नलिखित अंश पढ़िए
१. पृष्ठ १२०-१२१ पर बाबर लिखता है कि वह अपनी पत्नी में अधिक रूचि नहीं लेता था बल्कि वह तो बाबरी नाम के एक लड़के का दीवाना था. वह लिखता है कि उसने कभी किसी को इतना प्यार नहीं किया कि जितना दीवानापन उसे उस लड़के के लिए था. यहाँ तक कि वह उस लड़के पर शायरी भी करता था. उदाहरण के लिए- “मुझ सा दर्दीला, जुनूनी और बेइज्जत आशिक और कोई नहीं है. और मेरे आशिक जैसा बेदर्द और तड़पाने वाला भी कोई और नहीं है.”

२. बाबर लिखता है कि जब बाबरी उसके ‘करीब’ आता था तो बाबर इतना रोमांचित हो जाता था कि उसके मुंह से शब्द भी नहीं निकलते थे. इश्क के नशे और उत्तेजना में वह बाबरी को उसके प्यार के लिए धन्यवाद देने को भी मुंह नहीं खोल पता था.
३. एक बार बाबर अपने दोस्तों के साथ एक गली से गुजर रहा था तो अचानक उसका सामना बाबरी से हो गया! बाबर इससे इतना उत्तेजित हो गया कि बोलना बंद हो गया, यहाँ तक कि बाबरी के चेहरे पर नजर डालना भी नामुमकिन हो गया. वह लिखता है- “मैं अपने आशिक को देखकर शर्म से डूब जाता हूँ. मेरे दोस्तों की नजर मुझ पर टिकी होती है और मेरी किसी और पर.” स्पष्ट है की ये सब साथी मिलकर क्या गुल खिलाते थे!

४. बाबर लिखता है कि बाबरी के जूनून और चाह में वह बिना कुछ देखे पागलों की तरह नंगे सिर और नागे पाँव इधर उधर घूमता रहता था.
५. वह लिखता है- “मैं उत्तेजना और रोमांच से पागल हो जाता था. मुझे नहीं पता था कि आशिकों को यह सब सहना होता है. ना मैं तुमसे दूर जा सकता हूँ और न उत्तेजना की वजह से तुम्हारे पास ठहर सकता हूँ. ओ मेरे आशिक (पुरुष)! तुमने मुझे बिलकुल पागल बना दिया है”.
इन तथ्यों से पता चलता है कि बाबर समलैंगिक था . अब यदि इस्लामी शरियत की बात करें तो समलैंगिकों के लिए मौत की सजा ही मुक़र्रर की जाती है. बहुत से इस्लामी देशों में यह सजा आज भी दी जाती है. बाबर को भी यही सजा मिलनी चाहिए थी. दूसरी बात यह है कि उसके नाम पर बनाए ढाँचे का नाम “बाबरी मस्जिद” था जो कि उसके पुरुष आशिक “बाबरी” के नाम पर था! हम पूछते हैं कि क्या अल्लाह के इबादत के लिए कोई ऐसी जगह क़ुबूल की जा सकती है कि जिसका नाम ही समलैंगिकता के प्रतीक बाबर के पुरुष आशिक “बाबरी” के नाम पर रखा गया हो? इससे भी बढ़कर एक आदमी द्वारा जो कि मुसलमान ही नहीं हो, समलैंगिक और बच्चों से कुकर्म करने वाला हो, उसके नाम पर मस्जिद किसी भी मुसलमान को कैसे क़ुबूल हो सकती है?
यह सिद्ध हो गया है कि बाबरी मस्जिद कोई मस्जिद नहीं थी जहा खुदा के लिए नमाज होती वहा तो गे लोगो का अड्डा बनता लेकिन बहादुर हिंदुवो ने गे अड्डा बनाने से रोक कर समजा का भला किया तथा एक काफ़िर के सपनो को चूर करदिया . बाबरी नाम से जो कुछ भी बनेगा चाहे मस्जिद ही हो . समलैंगिकता और बाल उत्पीडन का प्रतीक होगी इस लिए भारत में जा दुनिया में बाबरी नाम से जो भी बनेगा मानवता के खिलाफ होगा . और अल्लाह, मुहम्मद, इस्लाम आदि के नाम पर कलंक होगा . मुसलमानों द्वारा ही एसी ईमारत को नेस्तोनाबूत कर दिया जाना चाहिए .
बाबर मानव हत्यारा , लुटेरा, बलात्कारी, शराबी
यहाँ पर इस विषय में कुछ ही प्रमाण
मानव हत्यारा बाबर
पृष्ठ २३२- वह लिखता है कि उसकी सेना ने निरपराध अफगानों के सिर काट लिए जो उसके साथ शान्ति की बात करने आ रहे थे. इन कटे हुए सिरों से इसने मीनार बनवाई. ऐसा ही कुछ इसने हंगू में किया जहाँ २०० अफगानियों के सिर काट कर खम्बे बनाए गए.
पृष्ठ ३७०- क्योंकि बाजौड़ में रहने वाले लोग दीन (इस्लाम) को नहीं मानते थे इसलिए वहां ३००० लोगों का क़त्ल कर दिया गया और उनके बीवी बच्चों को गुलाम बना लिया गया.
पृष्ठ ३७१- गुलामों में से कुछों के सिर काटकर काबुल और बल्ख भेजे गए ताकि फतह की सूचना दी जा सके.
पृष्ठ ३७१- कटे हुए सिरों के खम्बे बनाए गए ताकि जीत का जश्न मनाया जा सके.
शराबी बाबर
पृष्ठ ३७१- मुहर्रम की एक रात को जश्न मनाने के लिए शराब की एक महफ़िल जमाई गयी जिसमें हमने पूरी रात पी. (पूरे बाबरनामा में जगह जगह ऐसी शराब की महफ़िलों का वर्णन है. ध्यान रहे कि शराब इस्लाम में हराम है.)
नशेडी बाबर
पृष्ठ ३७३- बाबर ने एक बार ऐसा नशा किया कि नमाज पढने भी न जा सका. आगे लिखता है कि यदि ऐसा नशा वह आज करता तो उसे पहले से आधा नशा भी नहीं होता.
पृष्ठ ३७४- बाबर ने अपने हरम की बहुत सी महिलाओं से बहुत से बच्चे उत्पन्न किये. उसकी पहली बेगम ने उससे वादा किया कि वह उसके हर बच्चे को अपनाएगी चाहे वे किसी भी बेगम से हुए हों, ऐसा इसलिए क्योंकि उसके पैदा किये कुछ बच्चे चल बसे थे. यह तो जाहिर ही है कि इसके हरम बनाम मुर्गीखाने में इसकी हवस मिटाने के लिए कुछ हजार औरतें तो होंगी ही जैसे कि इसके पोते स्वनामधन्य अकबर के हरम में पांच हजार औरतें थीं जो इसकी ३६ (छत्तीस) पत्नियों से अलग थीं. यह बात अलग है कि इसका हरम अधिकतर समय सूना ही रहता होगा क्योंकि इसको स्त्रियों से अधिक पुरुष और बच्चे पसंद थे! और बाबरी नाम के बच्चे में तो इसके प्राण ही बसे थे.
पृष्ठ ३८५-३८८- अपने बेटे हुमायूं के पैदा होने पर बाबर बहुत खुश हुआ था, इतना कि इसका जश्न मनाने के लिए अपने दोस्तों के साथ नाव में गया जहां पूरी रात इसने शराब पी और नशीली चीजें खाकर अलग से नशा किया. फिर जब नशा इनके सिरों में चढ़ गया तो आपस में लड़ाई हुई और महफ़िल बिखर गयी. इसी तरह एक और शराब की महफ़िल में इसने बहुत उल्टी की और सुबह तक सब कुछ भूल गया.
पृष्ठ ५२७- एक और महफ़िल एक मीनारों और गुम्बद वाली इमारत में हुई थी जो आगरा में है. (ध्यान रहे यह इमारत ताजमहल ही है जिसे अधिकाँश सेकुलर इतिहासकार शाहजहाँ की बनायी बताते हैं, क्योंकि आगरा में इस प्रकार की कोई और इमारत न पहले थी और न आज है! शाहजहाँ से चार पीढी पहले जिस महल में उसके दादा ने गुलछर्रे उड़ाए थे उसे वह खुद कैसे बनवा सकता है?)
बाबरनामा का लगभग हर एक पन्ना इस दरिन्दे के कातिल होने, लुटेरा होने, और दुराचारी होने का सबूत है. यहाँ यह याद रखना चाहिए कि जिस तरह बाबर यह सब लिखता है, उससे यह पता चलता है कि उसे इन सब बातों का गर्व है, इस बात का पता उन्हें चल जाएगा जो इसके बाबरनामा को पढेंगे. आश्चर्य इस बात का है कि जिन बातों पर इसे गर्व था यदि वे ही इतनी भयानक हैं तो जो आदतें इसकी कमजोरी रही होंगी, जिन्हें इसने लिखा ही नहीं, वे कैसी क़यामत ढहाने वाली होंगी?
प्रश्न ये है
१. क्या एक आदमी homo होकर भी मुसलमान हो सकता है?
२ बच्चों के साथ बलात्कार करके भी मुसलमान हो सकता है?
३ शराब पीकर नमाज न पढ़कर भी, चरस, गांजा, अफीम खाकर भी मुसलमान हो सकता है ?
४ हजारों लोगों के सिर काटकर उनसे मीनार बनाकर भी मुसलमान हो सकता है?
५ लड्को से बलात्कार करके भी मुसलमान हो सकता है?
६ अगर हो सकता है तो फिर वह कौन है जो मुसलमान नहीं हो सकता?
७ क्या कोई मुल्ला बाबर को मुसलामन कह सता है ?
८ .क्या तथा कथित बाबरी मस्जिद को मस्जिद कहना उचित है?
९ अपने पुरुष आशिक के नाम पर बने ढाचे को मस्जिद कहना हराम नहीं है?
१० क्या किसी बलात्कारी homo शराबी व्यभिचारी के पुरुष आशिक के नाम की मस्जिद में अता की गयी नमाज अल्लाह को क़ुबूल होगी?
११ जब वो जगह मस्जिद ही नहीं तब मुल्ला लोग इतना हो हल्ला दंगा फसाद क्यों कर रहे हैं? १२ क्या इसका टूटना इस्लाम पर लगे कलंक को मिटाने जैसा नहीं था?
१३ क्या यह काम बहुत पहले ही खुद मुसलमानों को नहीं करना चाहिए था?

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