बुधवार, 10 नवंबर 2010

आतंकवाद से संघ का नाम जोड़ना एक साजिश






लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने संघ का नाम आतंकवाद के साथ जोड़े जाने की कोशिशों को हिन्दू समाज का मनोबल तोड़ने की एक सोची समझी साजिश का परिणाम करार देते हुए बुधवार को यहां कहा कि इन तमाम आरोपों के बीच संघ, कानून और जनता की नजर में और प्रखर होकर निकलेगा।

भागवत आज यहां संघ और हिन्दू संगठनों पर आतंकवाद में शामिल होने और भगवा आतंकवाद जैसे आरोपों के विरोध में आयोजित प्रतीकात्मक धरने को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब जब दिल्ली की सत्ता डोलने लगती है तब तब संघ पर हमला किया जाता है और आज फिर उन्हीं हालात में छलकपट से संघ के साथ आतंकवादी शब्द चिपकाने की कोशिश की जा रही है।

भागवत ने कहा कि कतिपय आतंकवादी घटनाओं में पकड़े गए हिन्दूओं को संघी बताकर संघ परिवार को बदनाम करने की सोची समझी साजिश की जा रही है, मगर इस बार हम खामोश रहने वाले नहीं हैं।

कुछ वर्षो पहले अजमेर में हुए विस्फोटों में संघ के पदाधिकारी इन्द्रेश का नाम जोड़े जाने की घटना का उल्लेख करते हुए भागवत ने कहा कि अब हम खामोश रहने वाले नहीं हैं , हमने फैसला किया है कि हम जनता के बीच जाएगें और उन्हें पूरी सच्चाई से अवगत कराएंगे। लड़ाई अदालत में भी लड़ी जाएगी।

संघ प्रमुख ने चेतावनी के स्वर में कहा कि यदि इससे भी बात न बनी तो हम संघ और हिन्दू संगठनों को बदनाम करने वालों को सबक सिखाने का अन्य रास्ता भी अपनाएगें। यह कहते हुए कि धरना प्रदर्शन संघ की न तो संस्कृति है और न ही स्वभाव, भागवत ने कहा कि हमें मजबूरन धरना प्रदर्शन के रास्ते को अपनाना पड़ा है। उन्होंने हिन्दू समाज के सामने उत्पन्न चुनौतियों की गंभीरता को रेखांकित करते हुए बताया कि इसके पहले भी संघ ने कुछ मौको पर धरने किए है , मगर यह पहला मौका है कि कोई संघ प्रमुख स्वयं धरने में शामिल हो रहा है और इस तरह के धरने पूरे देश में आयोजित किए जा रहे हैं।

हिन्दू समाज, भगवा रंग और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को आतंक और हिंसा का विरोधी और अहिंसा और प्रेम का पोषक बताते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि कतिपय आतंकवादी घटनाओं में पकड़े गए हिन्दूओं को संघी बताना गलत है। हो सकता है कि कभी उनमे से कुछ संघ से जुड़े रहे हो और उग्र हिन्दू हो। उन्होंने कहा कि पहले उनका नाम संघ और हिन्दुत्व से जोड़ा गया और बाद में विरोध की आशंका होने पर 'भगवा आतंकवाद' का शब्द उछाला गया, मगर कोशिश यही है कि हिन्दू समाज के मनोबल को तोड़ा जाए और यह प्रयास कोई नया नहीं है।

भागवत ने कहा कि आजादी आने के बाद से संघ पर तीन बार प्रतिबंध लग चुका है, कारण कि जब जब दिल्ली की सत्ता डोलने लगती है संघ पर हमला होता है, लेकिन हर बार संघ और प्रखर होकर उभरता है। संत, मंदिर और संघ को देश की एकता और अखंडता तथा पहचान बताते हुए, भागवत ने आरोप लगाया कि सत्ता में बने रहने के लिए अंग्रेजो की तरह बांटो और राज करो की नीति अपनाने वाली ताकतों को संघ उनकी राजनीति की राह में एक बाधा की तरह दिखाई देता है, इसीलिए इसे बदनाम करने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा कि चुनावी स्वार्थ के लिए समाज को बांट कर वोट की राजनीति करने की आदी रही ताकतें संत, मंदिर और संघ को बदनाम करने की साजिश रच रही हैं।

कुछ वर्षों पहले कांची कामकोटि के शंकराचार्य की गिरफ्तारी से लेकर उड़ीसा के आदिवासी लोगों के स्वावलंबन के लिए काम करने वाले स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या का उल्लेख करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि यह हमले इसलिए हुए क्योंकि उनके काम से मतांतरण करवाने वाली ताकतें कमजोर हो रही थी।

भागवत ने यह भी कहा कि लक्ष्मणानंद की हत्या की साजिश रचने वाले खुले आम घूम रहे हैं और दिल्ली में अलगाववादी आकर बैठकें कर जाती हैं, जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री यह कह कर चले जाते हैं कि कश्मीर में जो भी हो, उसमे पाकिस्तान की भी राय होनी चाहिए , मगर सरकार कुछ कर नहीं पाती। उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व सभी धर्मो और आस्थाओं को मान्यता ही नहीं देता बल्कि इन्हें स्वीकार भी करता है और संघ की नजर में इस देश के सभी ईसाई व मुसलमान हिन्दू है।

भागवत ने कहा कि संघ और हिन्दू समाज को बदनाम करने के लिए की जा रही साजिशें देश की एकता और अखंडता पर खतरा है और हमें ऐसी ताकतों को पहचान कर इनके षडयंत्रों को नाकाम करना होगा। उन्होंने कहा कि जब 30 सितम्बर को अयोध्या के बारे फैसला आया तो हमने सबको एक जुट बने रहने का आह्मवान किया, मगर जो लोग पहले अदालत के फैसले को मानने की बात करते थे, उन्हें अपनी चुनावी वोट की राजनीति में सेंध लगती दिखी और वोट के लिए कुछ भी करने वालो ने संघ पर उंगुली उठानी शुरु कर दी। उन्होंने कहा कि वोट की राजनीति के लिए संघ का हौव्वा खड़ा करके मुसलमानों में भय पैदा करने की राजनीति होती रही है, मगर ऐसा करने वालों को अंत में कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है, कारण साफ है कि सच एक दिन सिर चढ़ कर बोलेगा और तब दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

सर संघचालक ने जोर देते हुए कहा कि वे सम्पूर्ण समाज को सावधान करना चाहते हैं कि वे साजिश को पहचाने और ऐसी ताकतों की चाल में न आए तथा धर्म मजहब से उूपर उठकर सामाजिक एकता को बनाए रखे।

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