मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011
सूरीनाम में कुम्भ पर्व एक अध्यात्मिक अनुभव
सूरीनाम में कुम्भ पर्व एक अध्यात्मिक अनुभव
पारामारिबो। दक्षिण अमेरिकी देश सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो शहर में 14 जनवरी 2011 से समुद्र के तट पर प्रवासी भारतीयों के लिए सूर्य कुंभ पर्व का आयोजन किया गया इसमें नेदरलैंड जर्मनी त्रिनिदाद अमेरिका के से आये तमाम लोगो ने भाग लिया नेदरलैंड से अपनी पत्नी के साथ ए हुए हान्स रामचरण का कहना है ये सूर्य कुम्भ पर्व मेरे जीवन का बहुत ही विशेष अनुभव है यहाँ पर हमने हर रोज समुद्र को गंगा मान कर स्नान किया .
प्रश्न- आपकी हिंदी बहुत अची है आप भोजपुरी भी बहुत सुन्दर ढंग से बोल लेते है कहा सीखा अपने ?
उत्तर - हँसते हुए जबाब दिया भोजपुरी हमारी मात्री भाषा है , हिंदी हमने हिंदी फ़िल्म देखते देखते सीखा है .
करीब १४० साल पहले हमरे पूर्वज जब सूरीनाम आये तब वे सभी भोज पूरी बोलते थे हमने अपने माँ बाप से सीखा . घर में हम लोग भोजपुरी ही बोलते है .
प्रश्न - सूर्य कुम्भ का विचार सूरीनाम में ये विचार आपके मन में कहा से आया ?
उत्तर - हमारे परवार के पुरोहित आचार्य शंकर उपाध्याय ने ये विचार पहली बार रखा हम सब को उनके विचार बहुत भाये हम सब मिल कर सहयोग केलिए तेयार हो गए .
प्रश्न - सूरीनाम में इसका असर क्या हुवा ?
उत्तर - अभी तक सूरीनाम में सभी हिन्दू संस्थाए अलग अलग काम करती थी कोई भी इक साथ मिलकर कार्य करने के लिए तीयार नहीं था .आचार्य शंकर के प्रयास से सूरीनाम के इतिहास में पहलीबार सभी संस्थाए एक साथ आकार हिन्दू समाज की एकता का विचार रखा सब एक होकर कम करने का सकल्प लिया . लगता है सब समाज अब एक होकर काम करेगा .
प्रश्न - सूर्य कुम्भ पर्व कब तक चलेगा ?
उत्तर - इसका समापन 18 फरवरी को होगा। इस दौरान यहां दुनिया के सैकड़ों विद्वान सनातन धर्म के माध्यम से विश्व में सुख शांति की स्थापना कैसे हो; समेत कई गंभीर विषयों पर चिंतन-मंथन करेंगे।
सूर्य कुंभ पर्व आयोजन समिति के अध्यक्ष श्रीमान रूदी रामधनी ने बताया कि इस पर्व का आयोजन सूरीनाम में पहली बार हो रहा है। इसमें त्रिनिदाद, गुयाना और अमेरिका सहित विश्व के कई देशों के विद्वानों को आमंत्रित किया गया है तथा इसमें आम जनता का हार्दिक स्वागत है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन उन प्रवासी भारतीयों के लिए एक वरदान है जो भारत पंहुच कर माघ स्नान का पुण्य नहीं प्राप्त कर सकते।
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